जब से सरकार सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना लेकर आई है. ऐसा लग रहा है मानो देश का हर पथ ही अग्निपथ बन गया हो. युवाओं का आक्रोश और गुस्सा सड़कों पर नजर आ रहा है. हालांकि इस दौरान हो रही हिंसा की घटनाएं आंदोलनकारियों पर गंभीर सवाल खड़ें करती हैं लेकिन सवाल सरकार से इसलिए ज्यादा है क्योंकि युवाओं में पनपते गुस्से का वक्त रहते समाधाना क्यों नहीं निकाला जाता. सोचिए कई राज्यों में समय पर भर्ती परीक्षा नहीं होती. कहीं होती है तो धांधली हो जाती है. कहीं होती है तो नतीजा नहीं आता. कहीं नतीजा आ जाए तो नियुक्ति पत्र के लिए युवाओं को हजार किलोमीटर से ज्यादा पैदल मार्च करना पड़ता है.