एक तरफ नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव का बिगुल बच चुका है...इन चुनावों में अपनी साख बचाना सरकार के लिए जरा टेढ़ी खीर है.... डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का माहौल शहर और गांव की सरकार के चुनाव ही तय करने वाले हैं...इसलिए इन चुनाव पर सत्ता से लेकर संगठन तक गंभीर है.... ऐसे में अचानक उमा भारती एक बार फिर एक्टिव होने से सरकार का सिरदर्द बढ़ गया है....क्योंकि उमा उस मुद्दे पर फिर माहौल गर्मा रही हैं....जिस पर सरकार फिलहाल चर्चा तो दूर की बात विचार करने तक के मूड में नहीं है..... राजनीति का नौसिखिया नेता भी ये कह सकता है कि...उमा भारती नाजुक समय पर सरकार को मकसद से भटकाने का काम कर रही हैं..... फिर क्यों एक मंझी हुई राजनेता, एक बार सूबे की सत्ता संभाल चुकी उमा भारती ने अपनी मांग उठाने के लिए ये वक्त चुना है.