इस बार चने का रकबा अधिक होने के साथ ही पैदावार भी बम्पर होने से किसानों को बड़ी उम्मीद थी, लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीद के नाम पर खानापूर्ति होने और अधिकतर किसानों को ऑनलाइन टोकन नहीं मिलने से समर्थन मूल्य से काफी कम दर पर बाजार में अपनी उपज बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।