SootrDhar: नर्मदा जयंती विशेष - टूट रही धार, रूठ रही महाशीर | Anand Pandey |

The Sootr 2022-02-07

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भोपाल (राहुल शर्मा). पूरा मध्य प्रदेश 8 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाएगा। मां जैसी पूजनीय नर्मदा नदी में दीपदान किया जा रहा है, चुनरी चढ़ाई जा रही है, परिक्रमा हो रही है। ये आस्था का विषय हो सकते हैं, लेकिन क्या इससे नर्मदा नदी का संरक्षण होगा। आप मानें या ना मानें, इस पवित्र, जीवनदायिनी नर्मदा नदी का अस्तित्व खतरे में है। इसका संकेत किसी और ने नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश की स्टेट फिश महाशीर ने ही दिया है। महाशीर टाइगर ऑफ वॉटर के नाम से मशहूर है। मछली की खासियत ये है कि यह फ्रेश वॉटर यानी ताजे पानी में ही रहती है। यह विपरीत धारा में 20.25 नॉटिकल मील (1 नॉटिकल मील=1.85 किमी) की रफ्तार से तैर सकती है। मतलब यह बहते पानी में ही रहती है।

अब सवाल यह उठता है कि इससे नर्मदा के खत्म होने का कैसे पता चलता है। दरअसल, महाशीर मछली अपने खास गुणों के कारण ही मध्य प्रदेश में सिर्फ नर्मदा नदी में ही पाई जाती है। पर अब ये विलुप्त होने की कगार पर है। वजह ये कि प्रदूषण बढ़ने से नर्मदा का पानी फ्रेश वॉटर नहीं रहा, जिसके कारण महाशीर सर्वाइव नहीं कर पा रही। पानी का बहाव तेज नहीं होने से महाशीर अपने स्वभाव के विपरीत जीवनशैली नहीं अपना पाई। नतीजा ये कि नर्मदा में महाशीर मछली खत्म होने की कगार पर है। मत्स्योद्योग के प्रभारी संचालक भरत सिंह खुद इस बात को स्वीकार करते हैं कि महाशीर फ्रेश वॉटर की मछली है और बांधों के निर्माण से यह कम हुई है। इधर, केंद्रीय अंतरस्थलीय मात्स्यिकीय अनुसंधान कोलकाता की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, नर्मदा नदी में 1966 में महाशीर मछली 28% थी, जो 2011 में घटकर 10% हो गई। जानकार बताते हैं कि नर्मदा में महाशीर अब महज 2% ही बची है। विलुप्त होती यह प्रजाति इस बात का संकेत है कि नर्मदा भी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। महाशीर को 22 नवंबर 2011 को मध्य प्रदेश की स्टेट फिश घोषित किया गया था।

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