एनएल चर्चा 71: स्मृति ईरानी का अर्थी को कंधा देना, नवीन पटनायक पांचवी बार बने सीएम और अन्य

Newslaundry 2021-11-10

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इस हफ़्ते की चर्चा हालिया राजनीतिक उठापटक पर केंद्रित रही. पिछले दिनों एक फोटो मीडिया में आयी, जिसमें स्मृति ईरानी कंधे पर अर्थी उठाते हुए देखी गयी थी. उन्होंने अमेठी के बीजेपी कार्यकर्ता की अर्थी उठायी थी. 23 मई के नतीजों के आने के बाद देश के कई हिस्सों में हेट क्राइम की वारदातें हुईं. बिहार के बेगूसराय से लेकर दिल्ली के कनॉट प्लेस तक ऐसी घटनाएं सुनने को मिलीं. दूसरी तरफ़, चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी में काफी उथल-पुथल मची हुई है. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के लिए अड़े हुए हैं, जबकि पार्टी के लोग उन्हें मना रहे है. इसके अलावा, इस बार के नतीजों में सबसे महत्वपूर्ण नतीजा ओडिशा से देखने में आया. नवीन पटनायक पांचवी बार मुख्यमंत्री बनने में सफल हुए हैं.

चर्चा में इस बार वरिष्ठ लेखक-पत्रकार अनिल यादव ने शिरकत की. साथ में पब्लिक पॉलिसी के एक्सपर्ट और न्यूज़लॉन्ड्री में ही कार्यरत पत्रकार एस मेघनाद भी चर्चा में शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

अतुल ने बातचीत शुरू करते हुए सवाल उठाया, अमेठी में सुरेंदर सिंह, जो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता थे, उनकी नतीजे के एक दिन बाद ही हत्या हो गयी और स्मृति ईरानी वहां पहुंची और उनकी अर्थी को कंधे पर ले कर चली तो तमाम लोगों ने उनकी आलोचना भी की कि ईरानी ने लोगों के बीच में वाहवाही लूटने के लिए ऐसा किया था. महिलाओं का अंतिम संस्कार में शामिल होना हिंदू समाज में खासकर उत्तर भारत के समाज में निषेध माना जाता है उनको शमशान में जाने की इजाज़त नहीं दी जाती है. साथ ही महिलाओं को अर्थी को कंधा देने की भी मनाही है. तो उस लिहाज़ से ये फोटो काफी विचलित करने वाली भी है?

जवाब में अनिल ने कहा- "किसी पुरुष की अर्थी को महिला का कंधा देना अब इतनी बड़ी बात नहीं रह गयी है. मैंने कम से कम दस मामले देखे हैं, जहां पर लड़कियों ने अपने पापा को, जिनमें से कई पत्रकार भी थे, कंधा दिया. हां थोड़ी-बहुत रोक-टोक थी, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं थी कि उनको साफ तौर पर मना कर दे कि आप ऐसा नहीं कर सकते. ऐसा नहीं है स्मृति ईरानी कोई नयी परंपरा बना रही हैं या बहुत बड़ा काम कर रही हैं, भारतीय समाज को बदल रही है ऐसा कुछ नहीं है. ये एक तरह से राजनीतिक चालू

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