‘मेरे खिलाफ बकवास फैलाया जा रहा है कि चर्च और ईसाई मिशनरी मेरे पीछे हैं’

Newslaundry 2021-11-10

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झारखंड के पाकुड़ जिले में बंधुआ मुक्ति मोर्चा के प्रमुख और सामाजिक कार्यकर्ता 80 वर्षीय स्वामी अग्निवेश के ऊपर जानलेवा हमला हुआ. जांच में सामने आया है कि हमलावरों में ज्यादातर भाजपा, विहिप और संघ के कार्यकर्ता हैं.

यह हमला ऐसे समय में हुआ जब पूरे देश में मॉब लिंचिग का चिंताजनक माहौल बना हुआ है. देश के अलहदा हिस्सों में बीते कुछ महीनों के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की हत्या अफवाहों के आधार पर भीड़ द्वारा की गई है. देश के सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपनी चिंता जताते हुए तत्काल कुछ जरूरी दिशानिर्देश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मॉब लिचिंग को अलग अपराध की श्रेणी में रखते हुए इस पर अलग से क़ानून बनाने की सलाह दी है. सरकार का रवैया इस गंभीर समस्या को लेकर ढुलमुल है. संसद में गृहराज्य मंत्री हंसराज अहीर ने जानकारी दी कि सरकार के पास मॉब लिंचिंग से जुड़ा कोई आंकड़ा नहीं है. दूसरी तरफ संसद के पिछले बजट सत्र में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इससे जुड़े कुछ आंकड़े साझा किए थे.

स्वामी अग्निवेश के ऊपर आदिवासियों को भड़काने, चर्च के साथ संबंध रखने और ईसाई मिशनरियों के इशारे पर काम करने के आरोप भाजपा और उसके समर्थकों ने लगाया है. स्वामी अग्निवेश के ऊपर एक आरोप यह भी है कि उन्होंने समय-समय पर हिंदू धर्म की आस्थाओं पर विपरीत टिप्पणियां कर हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है.

अपने बचाव में स्वामी अग्निवेश का तर्क है कि वे आर्य समाज की उस परंपरा से आते हैं जिसका हिंदू धर्म सुधार आंदलनों की परंपरा में अग्रणी योगदान रहा है. धर्म सुधार का कोई भी आंदोलन रूढ़ियों और अंधविश्वासों पर चोट पहुंचाए बिना आगे नहीं बढ़ सकता. लेकिन मौजूदा समय में धार्मिक आस्था का संवैधानिक अधिकार इसके साथ एक विरोधाभास पैदा करता है. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में स्वामी अग्निवेश को हिंदुओं की आस्था को आहत करने के लिए फटकार भी लगाई थी. अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले और लग रहे तमाम आरोपों पर न्यूज़लॉन्ड्री ने स्वामी अग्निवेश से विस्तृत बातचीत की. देखिए यह साक्षात्कार.

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