श्मशान और सिस्टम के बीच कारवां गुजरा गया, चुनाव देखते रहे l NL Tippani Episode 59

Newslaundry 2021-11-10

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देश एक किस्म की निराशा और अराजकता में फंस गया है. दूर देश का #Twitter यहां सबसे भरोसेमंद हेल्पलाइन बन गया है और अपने देश के सरकारी तंत्र की फोनलाइन या तो डेड पड़ी है या फिर अनअटेंडेड रह जाती है. दिल्ली के शाहंशाहों के पास न कोई योजना है, न कोई दृष्टि है. मौत को इतने आस-पास मंडराते इतने सारे लोगों ने पहले कभी महसूस नहीं किया था.

#KishoreAjwani या #SudhirChaudhary जैसे एंकरों ने बारंबार यह साबित किया है कि मीडिया का मौजूदा मॉडल फेल हो चुका है वह इतनी बड़ी मानवीय त्रासदी में भी जनता के सवाल सत्ता से नहीं पूछ सकता क्योंकि उसकी नब्ज सरकारों ने दबा रखी है. इस महामारी ने साबित किया है कि अब मीडिया का पारंपरिक मॉल बदलने का वक्त है. वह मॉडल एक ही हो सकता है सब्सक्रिप्शन का मॉडल. न्यूज़लॉन्ड्री पर तमाम ग्राउंड रिपोर्ट और खबरें इस महामारी के दौर में भी आप इसीलिए देख पा रहे हैं क्योंकि हमें आपका समर्थन है. तीन सौ महीने की बहुत छोटी सी रकम है जिसके जरिए आप स्वतंत्र पत्रकारिता का हाथ मजबूत कर सकते हैं और गर्व से कह सकते हैं मेरे खर्च पर आज़ाद हैं खबरें. न्यूज़लॉन्ड्री की हिंदी वेबसाइट शुरू हो चुकी है. आप हिंदी डॉट न्यूज़लॉन्ड्री डॉट कॉम पर जाएं. वहां आपको अपनी पसंदीदा खबरें, पॉडकास्ट, वीडियो शोज़ और लेख मिलेंगे. देखें और अपनी सलाह जरूर दें.

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