Rakhi, the festival of Raksha Bandhan, is celebrated every year on the full moon date of the month of Savan. This festival year is on 3 August. The festival of Rakhi has been generally associated with affection and love of siblings because in this festival, the sisters tie a silk cord called Rakhi to their brothers' wrist and wish the brother long and prosperity. Turning the pages of Puranas, you will be surprised to know that Rakhi is not only a festival of love and affection of siblings but it is also a festival associated with husband-wife relationship and their well-being. A surprising story is mentioned in the Bhavishpurana in this context. In the Satyuga there was an asura named Vritrasura who defeated the gods and took over heaven.
राखी यानी रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार साल 3 अगस्त को है। राखी का त्योहार का संबंध आमतौर पर भाई-बहनों के स्नेह और प्रेम से माना गया है क्योंकि इस त्योहार में बहनें अपने भाइयों की कलाई में रेशम की डोर जिसे राखी कहते हैं बांधती है और भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती है।लेकिन पुराणों के पन्ने पलटकर देखेंगे तो आपको जानकर हैरानी होगी कि राखी ना केवल भाई बहनों के प्रेम और स्नेह का त्योहार है बल्कि यह पति-पत्नी के संबंध और उनके सुहाग से जुड़ा हुआ पर्व भी है। भविष्यपुराण में इस इस संदर्भ में एक हैरान करने वाली कथा का उल्लेख किया गया है। सतयुग में वृत्रासुर नाम का एक असुर हुआ जिसने देवताओं के पराजित करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।
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