काश! इस खिलाड़ी को स्कॉलरशिप मिल गई होती तो वह भी पदक झटककर चंडीगढ़ के साथ-साथ देश का नाम रोशन करतीं। लेकिन सहायता न मिलने के चलते अनदेखी की शिकार राष्ट्रीय स्तर की मुक्केबाज रीतू आज घर का खर्चा चलाने के लिए पार्किंग की टिकट काटने को मजबूर हैं। 23 साल की रीतू का परिवार धनास में रहता है। उन्हें इस बात का मलाल है कि प्रतिभा होते हुए भी उनकी अनदेखी हुई।