देवशयन एकादशी को भगवान के विवाह की परम्परा निभाई जाती है। देवशयन एकादशी भगवान विष्णु के लिए विशेष होती है। इसलिए साल में यही एक दिन होता है जब भगवान जगन्नाथ श्रद्धालुओं को चर्तुभुज रूप में दर्शन देते हैं और इसी रूप में जानकी मैया के साथ फेरे की रस्म पूरी करते हैं।