झोपड़ी के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुप चाप बैठे हुए है और अंदर बेटे की जवान बीबी भूतिया प्रसव बेदना में पछाड़ खा रही है रह रह कर उसके मुँह से ऐसे दिल हिला देने वाली आवाज निकलती थी की दोनों कलेजा थाम लेते थे जाड़ो की रात थी प्रकृति सन्नाटे में डूबी हुई शारा गांव अंधकार में लय हो गया था और अधिक पूरी कहानी पढ़ने के लिए वीडियो लिंक पे क्लिक करे...
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