kalidasIntroduction to the play of the great poet Kalidas and the representation of the rasa of the great poet Kalidas.

VIKAS RATURI 2021-06-30

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महाकवि कालिदास , विश्वविख्यात काव्य स्रष्टा , कवि - कुल - गौरव सत्यम् , शिव - सुन्दरं को समावेशित कर शाश्वत सनातन भारती का साज श्रृंगार करने वाले एक सफल महाकाव्यकार , सर्वोत्कृष्ट नाटककार एवं गीतिकाव्य प्रणेता है । ये न केवल संस्कृत अपितु सम्पूर्ण जन - चेतना को साहित्यिक समृद्धि के एकमात्र प्रतिनिधि कवि हैं । इन संस्कृत शिरोमणि ने वैदिककाल से लेकर अपने युग तक जिन सशक्त विचारों एवं शाश्वत भावों का चित्रण किया है , वे सदैव युगों - युगों तक सहदयों के इदों को अभिभूत करते रहेंगे । यह कथन अतिशयोक्ति पूर्ण न होगा कि ये महाकवि सच्चे अर्थों में सौन्दर्य और प्रेम के कला प्रधान कवि हैं क्योंकि उनके काव्यों में जीवन की समस्त अनुभूतियों के होने से सभी रस दृष्टिगत होते हैं
परन्तु शृंगार रस को ही उन्होंने प्रधानता दी है । उनका श्रृंगार संयोग से मधुर तथा वियोग से कारुणिक है । प्रकृति द्वारा प्रदत्त ऐन्द्रिय जीवन का सहज , सुलभ , सजीव एवं सशक्त अनुवचन तथा सौन्दर्य की विशिष्टता से जन - जीवन के सम्पूर्ण अस्तित्व को ऐन्द्रिय आभा से आलोकित कर उसे रससिक्त भाषावली में अभिव्यक्ति प्रदान करना , यही महाकवि कालिदास की बहुमुखी प्रतिभा पूर्णरूपेण प्रस्फुटित हुई है
महाकवि कालिदास अपूर्व शब्द शिल्पी एवं व्यंजना व्यापार के महापण्डित हैं । उनकी कविता कामिनी की सरसता एवं मधुरता से प्रभावित होकर
इस प्रकार निर्विवाद रूप से महाकवि कालिदास संस्कृत साहित्याकाश में ज्योतिर्पिडों की विकसित रश्मियों के प्रकाश में एक ऐसे शक्तिमत् ज्योति पुंज हैं जिनकी दिव्याभा दिक्प्रान्तर जगमगा रहे हैं ।
कालिदासः संस्कृतसाहित्ये यावन्तो नाटककाराः प्रथन्ते तेषु कालिदासस्य स्थानं सर्वोच्चमिति निश्चयेन वक्तुं पार्यते । कालिदासस्य तिस्रः नाटककृतयः प्रसिद्धास्तत्रापि शाकुन्तलमप्रतिस्पद्धिभावेनावस्थितम् - काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला । ' पाश्चात्त्या विद्वांसोऽपि शाकुन्तले मुक्तकण्ठं प्रशंसन्ति । कालिदासो महाभारतीयां कथामाश्रित्य शाकुन्तलं नाम नाटकं प्रणीतवान् ।

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