किसने कहा ‘यूपी की कफन चोर सरकार’ ?
एक और घाट से दफनाए गए शवों की चादर चोरी
आखिर ‘रामनामी चादर’ की चोरी से क्या होगा साबित ?
क्या सरकार के इशारे पर उतारी जा रही है ‘रामनामी’ ?
क्या सरकार छवि बिगड़ने के डर से करवा रही है ऐसा ?
देखिए क्या है ‘रामनामी चादर’ मामले की सच्चाई ?
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और विवादों का चोली दामन का साथ हो गया…विवाद तो सरकार के पास कम आते हैं लेकिन सरकार अपनी कार्यशैली से विवादों को दावत दे ही देती है और फिर विपक्ष मामले पर जमकर सरकार की बखिया उधेड़ता है…अब संगम नगरी प्रयागराज में गंगा के किनारे दफनाए गए शवों का ही मामला ले लीजिए…पहले सरकार ने विवाद होने पर बौद्ध धर्म से जोड़ा और फिर निशान मिटाने के लिए प्रशासन ने शवों से रामनामी चादर ही हटवा दी…और उसके बाद फिर डैमेज कंट्रोल में ब्लंडर करते हुए सरकार ने अखबारों में दावा किया कि तीन साल पहले तक भी गंगा किनारे इसी तरह के हालात थे…लेकिन अब एक और बखेड़ा खड़ा हो गया है संगम नगरी प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर घाट पर दफनाये गये शवों की कब्रों से चुनरी और रामनामी दुपट्टे हटाये जाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि एक और इसी तरह का मामला सामने आ गया है…अब फाफामऊ श्मशान घाट पर भी रेत में दफनाये गए शवों की कब्रों से भी चुनरी और रामनामी दुपट्टे हटाये जाने की खबर है…फाफामऊ के श्मशान घाट पर बड़ी संख्या में कब्रों से चुनरी और रामनामी दुपट्टे गायब मिले…खासतौर पर मोटर पुल के नीचे दफनाये गए दर्जनों शवों की कब्रों से चुनरी और रामनामी दुपट्टे हटाये गए हैं…कब्रों से हटाई गई चुनरी और रामनामी दुपट्टे को पास में ही मोटर पुल के एक पिलर के पास जलाये जाने के भी निशान मिले हैं…हालांकि, उससे आगे रेलवे ब्रिज तक दफनाये गए शवों की कब्रों से अभी चुनरी और रामनामी दुपट्टे नहीं हटाये गए हैं…लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब 18 मई को शवों को दफनाये जाने पर प्रशासन ने पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है…और फाफामऊ घाट पर एसडीआरएफ की 24 घंटे निगरानी लगा दी गई है, तो आखिर किसने यहां आकर कब्रों से चुनरी और रामनामी दुपट्टे हटाये हैं और इसके पीछे उसका मकदस क्या था…कोरोना काल में जब मौतों का आंकड़ा बढ़ा तो प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर, फाफामऊ, छतनाग और अन्य कई श्मशान घाटों पर बड़ी संख्या में शवों को रेत में दफन कर दिया गया…इस मामले को प्रमुखता से उठाया था…इसके बाद जिला प्रशासन ने ये कहा था कि यहां पर शवों को दफनाने की पुरानी परम्परा रही है… हालांकि बाद में प्रशासन ने शवों को गंगा किनारे दफनाने पर पाबंदी भी लगी दी थी…लेकिन उसके बावजूद फाफामऊ श्मशान घाट पर दफनाये गए शवों की कब्रों से चुनरी और रामनामी दुपट्टे हटाए जाने से अब सरकारी अमला सवालों के घेरे में है साथ ही सवाल सरकार से भी है क्योंकि इतना बड़ी निर्लजत्ता अधिकारी सरकार के आदेश के बिना नहीं कर सकते वो भी हिंदुवादी सरकार के राज में सनातनी परंपरा का अपमान करने की जहमत अधिकारी नहीं उठा सकते…ऐसे में स्थायीन लोग और जनप्रतिनिधि प्रदेश सरकार को अब कफन चोर सरकार बता रहे हैं और सनातनी परंपरा का अपमान करने की वजह से आगामी चुनाव में सबक सिखाने की धमकी दे रही है…ब्यूरो रिपोर्ट