West Bengal Elections 2021: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के चौथे चरण के मतदान (Fourth Round Voting) के दिन कूच बिहार (Kuch Bihar) में जो कुछ भी हुआ, उसके बाद एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं कि क्या बिना हिंसा (Violence) के बंगाल में चुनाव नहीं हो सकता है। केन्द्रीय गृहमंत्री (Union Home Minister) अमित शाह (Amit Shah) बीजेपी (BJP) के राज्य की सत्ता में आने पर ऐसा होने का दावा तो कर रही हैं….मगर टीएमसी सुप्रीमो (TMC Supremo) और बंगाल की मुख्यमंत्री (Chief Minister) ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) उल्टा शाह पर ही आरोप लगा रही हैं कि उन्हीं के आदेश में सीआईएसएफ (CISF) ने गोली चलाई...उधर पीएम मोदी भी घटना पर दुख जताने के अलावा ममता दीदी पर निशाना साथ चुके हैं...मगर आरोप-प्रत्यारोपों के बीच अगर अतीत के पन्नों पलटा जाए तो पता चलता है कि बंगाल चुनावों के साथ राजनीतिक हिंसा (Political Violence)और हत्याओं (Murders) का रिश्ता करीब 61 साल पुराना है...1960 के दशक में राजनीतिक हिंसा शुरू हुई और 1970 को पहली चुनावी राजनीतिक हत्या हुई...उसके बाद तो क्या कांग्रेस (Congress), क्या कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) और वाममोर्चा (Left Front) और क्या तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) सत्तारूढ़ दल की शह पर हिंसा का दौर चलता ही रहा। पेश है जनसत्ता की ये खास रिपोर्ट.