शाजापुर। रबी फसलों की कटाई व साफ-सफाई के दौर के बाद अनेक किसान अपने खेतों में नरवाई के प्रबंधन की बजाय उसे जला रहे हैं। खेत को आग को हवाले करने से कई सारे नुकसान हैं। नरवाई जलाने से जमीन की उर्वरा शक्ति में विपरीत प्रभाव पड़ने के साथ ही पर्यावरण को भी खासा नुकसान हो रहा है। जमीन कठोर हो जाती है जिसके कारण जमीन की जलधारण क्षमता कम होती है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से अपील की है कि वह नरवाई को जलाने की बजाय उसका उचित प्रबंधन करें तो ढेर सारे लाभ होंगे। कृषि वैज्ञानिक डॉ.धाकड ने बताया कि नरवाई जलाने से जमीन में रहने वाले सूक्ष्मजीव एवं केंचुआ आदि जलकर नष्ट हो जाते हैं। इनके नष्ट होने से खेत की उर्वरा शक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जमीन की उपरी परत में उपलब्ध आवश्यक पोषक तत्व आग लगने के कारण जलकर नष्ट हो जाते हैं।