अब सल्ट के अलावा प्रदेश की जनता को दो और उपचुनाव का सामना करना पड़ेगा. सांसद तीरथ रावत के सीएम बनने के बाद गढ़वाल ससंदीय सीट का उपचुनाव भी होना है. सीएम तीरथ को भी किसी एक विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर आना होगा…विपक्ष इसके लिए बीजेपी की सियासत को जिम्मेदार ठहरा रहा है…2022 के चुनाव से पहले जनता को तीन-तीन उपचुनाव की आचार संहिता से गुजरना होगा और इससे विकास कार्य प्रभावित होंगे.कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि बीजेपी अपनी राजनीति के लिए प्रदेश को उपचुनाव में झोंक रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी रतूड़ी का कहना है कि बीजेपी को अपने विधायकों में से कोई भी सीएम बनाने के लायक नहीं लगा. अब तीन-तीन उपचुनावों का प्रदेश के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना निश्चित है.इधर, बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष खजानदास का कहना है कि चुनाव उसके लिए कोई चैलेंज नहीं है. बतौर संगठन हमारी बूथ लेवल तक पूरी तैयारियां हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि इससे विकास कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. भले ही आचार संहिता वाले क्षेत्रों में नई घोषणाएं नहीं होंगी, लेकिन जो योजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं, उन पर काम करने से कौन रोकेगा.बहरहाल, विधानसभा सीटों के उपचुनावों के बजाए लोकसभा सीट का उपचुनाव बीजेपी को जरूर टेंशन में डाल सकता है. इस उपचुनाव में गढ़वाल की 14 विधानसभाएं आचार संहिता के दायरे में आ जाएंगी….इससे इन सीटों पर विकास कार्य प्रभावित बचने को बीजेपी रास्ता निकाला सकती है और लोकसभा उपचुनाव के साथ ही बीजेपी आम चुनाव का बिगुल भी बजा सकती है.