गौतमबुद्ध नगर की दादरी विधानसभा का सियासी हाल
देखिए 2022 से पहले क्या कहता है यहां का माहौल
आवाम के दिल में किसके लिए दिख रही है हमदर्दी
2002 से अब तक सपा यहां कर रही जीत का इंतजार
क्या इस बार दादरी में बदलेगा सियासी समीकरण ?
देखिए इस बार के सियासी फैक्टर क्या देते हैं संकेत ?
2022 विधानसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं हैं…पंचायत चुनाव खत्म होते ही प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनावों की धमाचौकड़ी देखने को मिलेगी…ऐसे में अब हम रोज आपको एक एक विधानसभा सीट का सियासी हाल बताएंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि किसके पक्ष में माहौल बन रहा है…इस कड़ी में आज बात करते हैं…गौतमबुद्ध नगर की दादरी विधानसभा सीट की…वैसे तो इस सीट पर मौजूदा वक्त में बीजेपी का कब्जा है लेकिन आगामी चुनाव से पहले यहां के क्या हालात हैं वो जानेंगे ही साथ ही सबसे पहले यहां के मतदाताओं का आकड़ा और इतिहास जानते हैं कि इस विधानसभा का इतिहास क्या रहा है….
दादरी सीट गौतमबुद्ध नगर जिले की अहम सीट है
2012 के आंकड़ों की माने तो यहां कुल 3 लाख 43 हजार 679 मतदाता हैं
जिनमें पुरुष मतदाताओँ की संख्या 1 लाख 94 हजार 181 है
महिला मतदाताओँ की संख्या 1 लाख 49 हजार 483 है
2017 में यहां बीएसपी और बीजेपी में कड़ा मुकाबला देखने को मिला था वहीं सपा ने भी कड़ी चुनौती दी थी लेकिन जीत बीजेपी के खाते में गई थी…ऐसे में आइए जानते हैं कि 2002 से लेकर अब तक किस पार्टी का दादरी में दबदबा देखने को मिला है…
पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो सपा को नुकसान ही हुआ है
2 बार बीएसपी और 2 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है
साल 2002 के विधानसभा चुनावों में यहां BJP जीती थी
2007 में बीएसपी ने दादरी विधानसभा पर जीत दर्ज की थी
2007 में सपा यहां तीसरे नंबर पर सिमटती दिखाई दी थी
2012 के विधानसभा चुनावों में भी यहां बीएसपी जीती थी
और सपा 2012 में चौथे नंबर पर खिसक कर पहुंच गई थी
2017 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी
और सपा को 2017 में भी नुकसान झेलना पड़ा था
दादरी विधानसभा पर इस बार सियासी हालात थोड़े बदले दिख रहे हैं और सपा के लिए लोगों में हमदर्दी जागती दिख रही है लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि सपा को जीतने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि यहां फिलहाल सपा की लीडरशिप ज्यादा मजबूत नहीं दिखती…ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन से वो पहलू हैं जिन्हे सपा इसबार भुना सकती है…
दादरी सीट पर किसान आंदोलन का असर देखने को मिल रहा है
जो बीएसपी सपा को हर बार टक्कर देती थी वो कमजोर हो रही है
आगामी चुनाव में मुकाबला सपा Vs बीजेपी देखने को मिलेगा
ऐसे में बीएसपी की जगह अब सपा आसानी से ले सकती है
लेकिन सपा के लिए परेशानी यहां की लीडरशिप बन रही है
सपा नेता अनिल यादव के इस्तीफे से पार्टी को झटका लगा है
ऐसे में पार्टी को अब जल्द से जल्द मजबूती हासिल करनी होगी
बेरोजगारी, अपराध और किसानों के मुद्दे पर सपा को सक्रिय होना होगा
दादरी सीट पर सपा को जीत मिल सकती है लेकिन मेहनत करनी होगी
दादरी में इस बार सियासी बयार में बदलाव देखने को मिल रहा है…ऐसे में इस बदलाव को अपनी मजबूती में बदलने के लिए सपा को जी तोड़ मेहनत करनी होगी…क्योंकि फिलहाल लीडरशिप में कहीं न कहीं कमजोरी देखने को मिल रही है…बांकी बीजेपी के बाद मुख्य मुकाबले में सपा ही टक्कर देती दिख रही है और सपा को दूसरे नंबर से पहले नंबर पर आने के लिए मेहनत करनी होगी जिससे कि 2022 में सपा सियासी वनवास को खत्म कर सके…ब्यूरो रिपोर्ट