RBI & Bad Bank: पिछले कुछ सालों से ख़राब ऋण (Bad Loan) और खराब परिसंपत्तियाँ (Bad Assets) में बेतहाशा वृद्धि हुई है, ग़ौरतलब है कि बैड लोन और बैड एसेट से ही मिलकर बनती हैं ‘गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ’(Non-Performing Assets) यानि NPA। बैड लोन से बैंकों के लाभांश (Profit) में कमी आती है, जिसकी वजह से बैंक के लिये ऋण देना मुश्किल हो जाता है। बैंको (Banks) की साख़ दर (Credit Ratio) में लगातार गिरावट, इन दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए चिंता की वजह बनी हुई है। एनपीए की समस्या से निपटने के लिये हाल के वर्षों में एक नई अवधारणा (Concept) निकलकर सामने आ रही है, जिसका नाम है “बैड बैंक” (Bad Bank)। क्या है ये बैड बैंक और क्यों भारत सरकार (Government of India) और RBI यानि भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) इसे लागू करने के बारे में सोच रहा है, इन सवालों का जवाब जानने के लिए देखिए जनसत्ता की ये खास रिपोर्ट...
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