पूर्व राष्ट्रपति के गांव में गरीब को छत नही

Patrika 2021-01-05

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कायमगंज के गांव में तालाब के किनारे पॉलीथिन की झोपड़ी में रहने को मजबूर है गरीब छोटेलाल, 17 दिसम्बर 2018 को सर्दी लगने से हो चुकी है पत्नी की मौत, पूर्व विदेश मंत्री व कांग्रेस के कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद व वर्तमान क्षेत्रीय भाजपा विधायक अमर सिंह खटिक का पैतृत गांव है पितौरा, गांव की राजनीति के चलते सूची में नाम पर नहीं आई आज तक खाते में नहीं आयी धनराशि

कायमगंज कोतवाली क्षेत्र के गांव पितौरा में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद एवं क्षेत्रीय भाजपा विधायक अमर सिंह खटिक के पैतृक गांव में एक गरीब महिला की तीन वर्ष पूर्व कड़ाके की ठंड से मौत हो गई थी । उसका अंतिम संस्कार भी चंदा एकत्र कर किया गया था । तीन वर्ष बीतने के बाद भी शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते उसका गरीब परिवार आज भी तालाब के किनारे पन्नी तानकर रहने को मजबूर है ।

एक तरफ प्रदेश सरकार ने ठंड के निजात दिलाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर तहसील प्रशासन को सख्त निर्देश क्यों न दिए गए हों वास्तविक गरीबों की हकीकत को देखने वाला कोई भी नहीं है । कायमगंज नगर से सटे गांव पितौरा निवासी छोटेलाल राठौर की 37 वर्षीय पत्नी शकुन्तला देवी की 17 दिसम्बर 2018 को ठंड लगने से मौत हो गई थी । इस गांव में पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन से लेकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का दबदबा रखने वाले तथा वर्तमान भाजपा सरकार के विधायक अमर सिंह खटिक का भी पैतृक गांव है । मोदी की स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत भले ही घर-घर शौचालय बनाने का दावा किया गया हो | वहीँ फर्रूखाबाद जनपद ओडीएफ के नाम मेें घोषित है । उसके बावजूद भी इस बेसहारा परिवार के लिए शौचालय व रहने के लिए आवास नहीं है । अपात्रों को जिला प्रशासन से लेकर तहसील प्रशासन उन लोगों को आवास मुहैया करा देते हैं जिनके पास पूर्ण रूप से सहूलियतें हैं । लेकिन अगर स्थलीय निरीक्षण किया जाए तो उन पात्रों को सिर छिपाने के लिए आवास तथा शौच क्रिया के लिए शौचालय उपलब्ध नहीं हैं । आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं | वहीँ छोटेलाल की तंगी को देखिये कि उसके पास इतने रूपए नहीं थे जो वह अपनी पत्नी का पोस्टमार्टम करा सकता । प्रशासन भी काफी देर बाद पहुंचा तब तक ग्रामीणों की मदद से उस महिला को अन्तिम संस्कार के लिए ले जाया गया । बाद में तत्कालीन तहसीलदार गजेन्द्र सिंह व पुलिस प्रशासन पहुंचा और सिर्फ मौत के बाद जो खानापूर्ति की तत्कालीन तहसीलदार ने मृतका की 15 वर्षीय पुत्री रिंकी का मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए उसका कस्तूरबा गांधी में एडमीशन करा दिया था और आवास मुहैया कराने का आश्वासन भी दिया था । मगर आज तक उसे आवास नहीं मिला | छोटेलाल का पात्रता आवास सूची में नाम भी आया था । किन्तु अभी तक उसे कोई आवास बनाने के लिए धनराशि नहीं मिली । छोटेलाल राठौर आज भी तालाब के किनारे पन्नी डाल कर अपनी 15 वर्षीय बेटी रिंकी व पांच वर्षीय बेटी अंजली के साथ जीवन यापन करने को मजबूर है ।

इस समबन्ध में राठौर समाज के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह राठौर ने कहा कि मुझे शकुन्तला की मौत की जानकारी होने पर परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की थी और समाज की तरफ से जो भी होगा उसकी हर सम्भव मदद की जाएगी । माननीय जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह से मुलाकात कर गरीब छोटेलाल राठौर को आवास दिलाए जाने व उसकी बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए पहल करूंगा ।

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