तेज़ाब - Hindi Kahani | Hindi Kahaniya | Hindi Moral Stories | Kahaniya

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Video Link: https://youtu.be/YhuziZR5u-Q


Story

शाम का समय गहराता जा रहा था। नवंबर के आखिरी हफ्ते का समय था। हल्की हल्की ठंड पड़ने के कारण शहर के पार्क में बस इक्का दुक्का लोग ही थे। उसी पार्क में दो सहेलियां भी बैठी थी। एक का नाम था शोभा और दूसरी का कोमल कोमल के पिता एक सरकारी अधिकारी थे जिनका हाल ही में इस शहर में ट्रांसफर हुआ था। चलो मैं सब लोग जा चुके हैं अब हमें भी चलना चाहिए यह ज्यादा देर तक रुकना ठीक नहीं है। मैंने लोगों से सुना है कि यहां रात को एक मनचले चुड़ैल घूमती है। कई लोगों ने तो इसे देखा भी है। बड़ा ही भयानक चेहरा है उसका बस पांच मिनट। शोभा वैसे भी इस करुणा की वजह से सारा दिन घर में बैठना पड़ता है। थोड़ी देर और रुक जाना यार शोभा मुस्कुराकर वहीं बैठ गई। तभी उसकी नजर पार्क के गेट पर पड़ती है। वहां एक लड़का अपनी बाइक के साथ खड़ा होता है। कोमल व्हीलर का जो कल भी आया था मुझे लगता है कि ये तेरा दीवाना हो गया है।

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► All the story characters, incidents, names, and situations used in this story are fictitious.

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