स्वामी श्रद्धानंद का 94 वां बलिदान दिवस मनाया गया
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ललितपुर। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वाधान में हिंदू शुद्धि सभा के संस्थापक, जामामस्जिद के मिम्बर से वेद मन्त्र गुंजाने बाले, महर्षि दयानंद सरस्वती के अनन्य शिष्य,महान राष्ट्रभक्त,आर्य समाज के नेता,स्वतंत्रता सेनानी,अमर बलिदानी स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती का 94 वां बलिदान दिवस वैदिक रीति से मनाया गया। सर्वप्रथम वैदिक रीति से ब्रह्मयज्ञ,देवयज्ञ आर्य समाज प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ के पुरोहित्य व सुमन लता सेन शिक्षक लखन लाल आर्य मंत्री आर्य समाज सपत्नी मुख्य यजमान द्वारा सम्पन्न हुआ। आर्य समाज के प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैदिक धर्म,वैदिक संस्कृति और आर्यो की रक्षा के लिए ,मरणासन्न अवस्था से उसे पुनः प्राणवान एवं गतिवान बनाने के लिए और उसे सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने के लिए सैकड़ो बलिदान दिए है और उसमें से प्रथम पंक्ति के प्रथम पुष्प है स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती जिनका जन्म 22 फरवरी 1856 को पंजाब प्रांत के जालन्धर जिले के तलवन ग्राम में एक खत्री परिवार में हुआ था।उनके पिता श्री नानक चन्द्र ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा शासित यूनाइटेड प्रोविन्स (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में पुलिस अधिकारी थे उनके बचपन का नाम बृहश्पति और मुंशीराम था।