चिकित्सा विभाग ने जारी किए अस्पतालों से भार कम करने के नए आदेश

Patrika 2020-11-30

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राजस्थान में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बीच, जांचें बढ़ाने या संक्रमण कम करने की रणनीति बनाने की बजाय राज्य सरकार मरीजों को उनके घर के भरोसे छोड़ने के आदेश निकाल रही है। वैश्विक महामारी, जिसका कोई निश्चित ट्रीटमेंट नहीं है, इस अनिश्चितता की स्थिति में मरीजों को घर में ही इलाज लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इससे अस्पतालों का भार भले ही सरकार कम कर दे, लेकिन यह मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ होगा। रविवार रात चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन ने एक आदेश जारी कर, कोरोना के उन मरीजों को होम आइसोलेशन में भेजने के निर्देश दिए हैं, जिनकी हालत गंभीर नहीं हैं या जिनमें कोरोना के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे। इस आदेश के मुताबिक ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की बजाय, घर में ही आइसोलेशन में रखा जाए। आवश्यक दवाइयां देकर इन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी जाए। इसका एक कारण यह बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में और भी बढ़ोतरी हो सकती है। इसके लिए अस्पतालों में पर्याप्त बैड, आॅक्सीजन व अन्य संसाधन तैयार रखने के लिए लॉ रिस्क वाले मरीजों को घर पर ही इलाज दिया जाए। वहीं आदेश यह कहते हुए निकाला गया है कि कोरोना मरीजों को अस्पताल में रखने से उनमें और उनके परिवार में मानसिक अवसाद की स्थिति पैदा होती है। घर पर ही मरीज का इलाज होगा तो वो सकारात्मक माहौल में जल्दी ठीक हो पाएगा। जबकि इस बात का पूरा रिस्क है कि घर पर किसी मरीज को कोरोना की वजह से कोई अन्य बीमारी या पोस्ट कोविड रोग होता है, तो उसकी जानकारी तक नहीं लग पाएगी।

होम आइसोलेशन से पहले यह निश्चित करना होगा जरूरी

इस आदेश के मुताबिक जो मरीज आॅक्सीजन पर निर्भर नहीं हो और उसकी हालत स्थिर हो, उसकी पल्सरेट, ब्लड प्रेशर, सांस लेने की दर और आॅक्सीजन पैरामीटर सामान्य हो। साथ ही मरीज को कोई अन्य बीमारी जैसे हार्ट डिजीज, डायबिटीज या किडनी प्रॉब्लम जैसी बीमारियां ना हो, उसमें कोरोना के लक्षण दिखाई ना दे रहे हों उन्हें होम आइसोलेशन में रहने की परमिशन दी जाएगी। इसमें उनके परिजनों की सह मति जरूरी होगी। साथ ही कोई परिजन मरीज को मॉनिटर कर सके, ऐसी स्थिति में उसे घर पर उपचार दिया जाएगा। हालांकि आदेश में यह भी निर्देश है कि मरीज की घर पर आइसोलेशन में रहते समय हालत बिगड़ती है तो तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए। लेकिन ऐसी स्थिति में मरीज समय पर अस्पताल ना पहुंच पाया तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, यह तय नहीं किया गया है।

डे केयर में भी रह सकते हैं मरीज
सरकार ने जिन कोरोना मरीजों में लक्षण नहीं हैं, या हालत सामान्य है, उनके लिए सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में डे केयर की सुविधा देने के आदेश दिए हैं। साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में इन डे केयर की रेट भी निर्धारित की है। प्राइवेट अस्पताल इन डे केयर को सभी सुविधाओं के साथ 2500 रुपए प्रतिदिन तक चार्ज कर पाएंगे।

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