बलीपुर गांव में सविता नाम की एक छोटी बच्ची अपनी मां गीता के साथ रहती थी। एक दिन वो अपने घर के बाहर लुका छिपी खेल रही थी लेकिन सबसे बड़ी आश्चर्य की बात ये थी कि वो किसी के साथ नहीं बल्कि अकेले ही खेल रही थी और बीच बीच में किसी से बात भी कर रही थी जबकि वहां कोई नहीं था। एक तो वो 3 4 5 जी साथ तुम छिप गई। मैं रामपुर में आ हूं वो सभी वहां से गुजर रहे एक मोनू नाम के आदमी की नजर उसपर गई। बच्ची की ऐसी हरकतें देख वो हैरान हो गया क्योंकि वहां न तो कोई थाई ने जिससे वो बातें कर रही थी वो उसके पास गया। अरे बेटी ये तो किसके साथ खेल रही है। बहुत तू बातें किससे कर रही है। वहां तो कोई नहीं है। अरे अंकल कैसी कोई नहीं है। यहां मेरी मां है। मैं अपनी मां के साथ खेल रही हूं। अब आप जाइए मुझे मां को ढूंढना है वो छिप गई है। कहां है तुम्हारी मां मुझे तो दिखती नहीं। कभी सविता मोहन को सामने पत्थरों के पास छिपी एक मकड़ी को दिखाती है। अगर ये रही मेरी मां अरे अब दूर हटो उस मकड़ी से दूर हटो वो तुम्हें काट लेगी।
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