दिवाली पर इलेक्ट्राॅनिक पटाखे की धूम धड़ाक

Patrika 2020-11-14

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एनजीटी और के आदेश की अवमानना होगी और न ही प्रशासन की गाइडलाइन की अवहेलना, फिर भी दिवाली पर पटाखों की गूंज पहले ही की तरह सुनाई देगी। व्यापारियों ने इसका विकल्प पेश कर लोगों के चेहरों पर खुशी ला दी है। बाजारों में ऐसे पटाखे बिक रहे हैं जो न तो वातावरण में वायु प्रदूषण फैलाएंगे और न ही इनसे किसी को नुकसान होगा, लेकिन पटाखा बजाने का आदंन उतना ही आएगा। हम बात कर रहे हैं इलेक्ट्राॅनिक पटाखों की। प्रशासन द्वारा पटाखों पर बैन के बाद बाजार में इलेक्ट्राॅनिक पटाखों की बिक्री बढ़ गई है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में प्रदूषण को देखते हुए 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यानि दिवाली पर पटाखा फोड़ने की इजाजत नहीं दी गई है। इससे लोगों और खासतौर से बच्चों में मायूसी देखने को मिली। पर व्यापारियों ने इसका तोड़ निकालते हुए बाजार में इलेक्ट्राॅनिक पटाखे पेश कर दिये। इनकी आवाज तो असली पटाखों जैसी ही दमदार है, पर इनमें न धुआं है न चिंगारी, इसलिये इनसे वायु प्रदूषण नहीं होता।

वाराणसी के इलेक्ट्राॅनिक पटाखा विक्रेता राजू गोगिया कहते हैं कि ये दूसरे पटाखों की अपेक्षा थोड़ा महंगा जरूर है, लेकिन इसे एक बार खरीदकर बार-बार हजारों बार बजाया जा सकता है। यानि एक बार का खर्चा होगा। इसमें किसी किस्म का प्रदूषण फैलाना वाला कोई सामान नहीं। उन्होंने बताया कि बाजार में 150 रुपये से लेकर 2000 रुपये की कीमत में इलेक्ट्राॅनिक पटाखे मौजूद हैं। अशोक सिंह ने बताया कि पाॅल्यूशन का मैटर है और शहर की बात है, इसलिये लोगों को स्वीकार है। इसके विकल्प में ईको फ्रेण्डली इलेक्ट्राॅनिक पटाखे आ गए हैं। लोग इस तरह के पटाखों में रूची दिखा रहे हैं।

इलेक्ट्राॅनिक पटाखा खरीदने पहुंचे ग्राहक शिवम और ऋषभ ने बताया कि ये पटाखे ओरिजनल पटाखों जैसे जलते हैं और आवाज भी उसी तरह करते हैं। पर दूसरे पटाखों की तरह ये यूज ऐण्ड थ्रो नहीं होते, बल्कि इन्हें एक बार खरीदकर जितनी बार चाहें उतनी बार बजाया जा सकता है।

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