शहीद स्मारक पर निजी स्कूल संचालकों का धरना

Patrika 2020-11-10

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सरकार से की आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग

कल राज्यपाल को दिया जाएगा ज्ञापन

विरोध में सयुक्त अभिभावक संघ...

कहा, निजी स्कूलों को सड़क पर उतरने की छूट क्यों ?

निजी स्कूल संचालकों की ओर से आज शहीद स्मारक पर अपनी मांगों को लेकर धरना दिया गया। फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान के बैनर तले निजी स्कूल संचालक यहां एकत्र हुए और सरकार से आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग की। फोरम की प्रवक्ता हेमलता शर्मा ने यहां आमरण अनशन शुरू कर दिया। उनका कहना था कि प्रदेश के अधिकांश निजी स्कूलों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है और सरकार उन्हें राहत नहीं दे रही। ऐसे में उन्हें मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ा। उनका कहना था कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर कोई सौहार्दपूर्ण समाधान स्वीकार नहीं करेगी तब तक हमारा धरना जारी रहेगा।

राज्यपाल को देंगे ज्ञापन

फोरम के प्रतिनिधि मंडल की ओर से बुधवार को राज्यपाल को उनकी विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन दिया जाएगा। जिसमें बताया जाएगा कि किस प्रकार प्रदेश के 50 हजार निजी स्कूलों में कार्यरत 11 लाख कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं। एक दर्जन से अधिक स्कूल संचालकों ने आत्महत्या कर ली लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही। वहीं फोरम की प्रवक्ता हेमलता शर्मा ने शिक्षामंत्री के उस बयान की भी निंदा कि जिसमें शिक्षा व शिक्षकों को धंधा करने वाला बताया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल से मांग की जाएगी कि वह उनकी वाजिब मांगों पर त्वरित कार्यवाही करें।

निजी स्कूलों को सरकारी संरक्षण

वहीं संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि धरना देकर निजी स्कूल संचालकों ने खुलआम कानून की धज्जियां उड़ाई हैं। प्रक्ता अभिषेक जैन बिट्टू और मंत्री मनोज जसवानी ने कहा कि साफ प्रतीत होता है कि निजी स्कूलों की खिलाफत में कहीं ना कहीं सरकारी संरक्षण प्राप्त है, क्योंकि जब-जब अभिभावक सड़कों पर उतरा तो उन्हें कानून का हवाला और एफआईआर व मुकदमे दर्ज करनी की धमकियां देकर हटा दिया जाता रहा है। जबकि निजी स्कूल संचालक दो तीन दिन पूर्व भी कलेक्ट्री में धरना दे चुके हैं लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसके बाद स्टेच्यू सर्किल पर प्रदर्शन किया तब भी कोई कार्यवाही नहीं की गई और आज शहीद स्मारक पर धरना दिया जा रहा है तो भी सरकार और प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं कर रही है जबकि 25 अक्टूबर को अभिभावकों ने बड़ी चौपड़ पर सरकार का पुतला दहन करने की कोशिश की गई तो पूरा प्रशासन अभिभावकों को घेरकर खड़ा हो गया और पुतले सहित सभी सामान उठाकर ले गए व जौहरी बाजार से बड़ी चौपड़ तक जाने नहीं दिया गया। संयुक्त अभिभावक संघ राज्य सरकार और प्रशासन से पूछना चाहता है कि आखिरकार क्या यह देश अभिभावकों का देश नहीं है, क्या जो कानून बनाए जाते हैं वह केवल आम जनता पर थोपने के लिए ही हैं। अगर कानून एक सामान है तो अभिभावकों को भी सड़कों पर उतरने और अपनी बात रखने की छूट दी जाए केवल निजी स्कूल संचालकों को ही छूट क्यों ?

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