मंगलवार को राजस्थान की छह नगर निगमों में महापौर पद के लिए चुनाव होने जा रहे हैं. इनमें से दो -दो नगर निगमों में कांग्रेस और भाजपा का बहुमत है तो वहीं 2 नगर निगमों में अपना बोर्ड बनाने के लिए निर्दलीय प्रत्याशियों की सहायता पार्टियों को लेनी पड़ेगी. इस बीच महापौर चुनाव के ऐन पहले दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने एक दूसरे पर पार्षदों की खरीद-फरोख्त करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. यदि दोनों में से किसी भी पार्टी के आरोपों में सच्चाई है तो यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही खतरनाक स्थिति है. क्योंकि प्रलोभन में आकर दिए गए वोट से योग्य प्रतिनिधि का चुनाव नहीं हो पाता है. और धनबल के माध्यम से पद पर काबिज व्यक्ति पद की गरिमा से न्याय नहीं कर पाता है. पद पर आने की शुरुआत ही भ्रष्टाचार से होने से वह पद पर रहने के दौरान भी भ्रष्टाचार करेगा, इसकी पूरी संभावना बनी रहती है. परिणामस्वरूप जनता को इसका खामियाजा विकास कार्य ठप होने के रूप में भुगतना पड़ता है. यदि सच में किसी नगर निगम में धन बल के आधार पर महापौर चुना जाता है तो वो नगर निगम नकद निगम बन जाएगा. देखिए कार्टूनिस्ट सुधाकर का कटाक्ष