कोरोना महामारी में कैंसर पेशेंट पर बड़ा असर पड़ा है। जिन लोगों में कैंसर के शुरुआती लक्षण थे, वे भी समय पर उपचार के लिए नहीं पहुंच सके। इस वजह से भी कैंसर के केस देशभर में बढ़ते जा रहे है। कैंसर के शुरूआती लक्षणों की पहचान ना होने के कारण आज भी कैंसर की पहचान अधिकांश रोगियों में एडवांस स्टेज पर होती है, जब कैंसर कोशिकाएं शरीर में फैल जाती हैं। आज राष्ट्रीय कैंसर जागरुकता दिवस है और देशभर में इसके लक्षणों को लेकर जागरुकता फैलाई जा रही है। इस बारे में डॉ असीम कुमार सामर का कहना है कि अगर समय पर कैंसर की पहचान और उपचार की शुरूआत हो तो कैंसर से होने वाली मौतों में 50 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है।
कैंसर के समय पर उपचार के लिए इसके लक्षणों को पहचानना जरूरी हो जाता है। मुंह या गले में न भरने वाला छाला, कुछ निगलने में दिक्कत होना या आवाज में परिवर्तन, शरीर के किसी भी भाग में गांठ, स्तन में गांठ या आकार में परिवर्तन, लंबे समय तक खांसी या कफ में खून, शरीर के किसी हिस्से से खून बहते रहना। यह सभी लक्षण कैंसर के शुरूआती लक्षणों में शामिल है। इन लक्षणों को नजर अंदाज करें बगैर चिकित्सक को समय पर दिखाकर लक्षणों के कारण की पहचान करना जरूरी है।
7 लाख से अधिक अकाल मौत
डॉ असीम ने बताया कि देश में 2.5 मिलियन लोग कैंसर के साथ अपनी जिंदगी बिता रहे हैं। इसके साथ ही देश में हर साल 11 लाख 57 हजार 294 कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं। वहीं 7 लाख 84 हजार 821 लोग इस रोग की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं। पुरूषों में मुंह, फेफड़े और पेट के कैंसर तेजी से बढ़ रहे हैं, जबकि महिलाओं में स्तन और गर्भाशय के कैंसर सर्वाधिक सामने आ रहे हैं। डॉ. असीम का कहना है जागरूकता की कमी के चलते आज भी कैंसर रोगी रोग की बढ़ी हुई अवस्था में चिकित्सक के पास पहुंचते है, जिसकी वजह से उपचार के दौरान रोगी के मन में हमेेशा यह भय रहता है कि वह पूरी तरह ठीक हो पाएगा भी या नहीं। चिंता और भय का रोगी के उपचार पर नकारात्मक प्रभाव पडता है।