टीकाकरण दल का गठन नहीं, शुरू कर दिया अभियान

Patrika 2020-11-06

Views 4



जहां दल है वहां प्रभारी नहीं जा रहे साथ
फेल हो रहा टीकाकरण और टैगिंग अभियान
कार्मिकों के साथ बढ़ रही मारपीट की घटनाएं

केस एक
हनुमानगढ़ के पशु चिकित्सा उपकेंद्र किंकराली में पशुधन सहायक अनिल शर्मा के साथ वैक्सीनेशन के दौरान मारपीट की गई। जिसकी एफआईआर भी दर्ज हुई।
केस २
जयपुर के दूदू स्थित मौजमाबाद में पशुधन सहायक देवेंद्र सोलंकी केसाथ मारपीट की घटना सामने आई।
इसी प्रकार भरतपुर के भुसावर, सवाई माधोपुर के खंडार, दौसा सहित विभिन्न स्थानों पर पशु चिकित्सा कार्मिकों को बंदी बनाया गया लेकिन मारपीट के दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
१२ अक्टूबर से शुरू किया गया एफएमडी टीकाकरण अभियान इन पशुचिकित्सा कार्मिकों के लिए परेशानी बन कर रह गया है। पशुपालन विभाग ने टीकाकरण अभियान तो शुरू कर दिया लेकिन अभियान के सुचारू संचालन के लिए अधिकांश जिलों और नोडल केंद्रों पर टीकाकरण दलों का गठन ही नहीं किया गया। टीकाकरण दल प्रभारी भी दल के साथ नहीं जा रहे जिसका असर इस अभियान पर पड़ रहा है। आए दिन मारपीट के मामले सामने आने के बाद भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारी भी इस समस्या को दूर करने का कोई प्रयास नहीं कर रहे। जिससे पशु चिकित्सा कार्मिकों में असंतोष है और उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दी है। आपको बता दें कि पशुओं को खुरपका और मुंहपका रोगों से बचाने के लिए एफएमडी टीकाकरण अभियान १२ अक्टूबर से शुरू किया गया था।

ग्रामीण महिलाएं भी बन रही परेशानी
ग्रामीण महिलाएं भी इन कार्मिकों के लिए परेशानी बनी हुई है। जब कार्मिक टीकाकरण व टैगिंग के लिए किसी ग्रामीण के घर जाते हैं तो वहां उन्हें महिलाएं ही मिलती हैं जिनकी सहमति से वैक्सीनेशन व टैगिंग का काम होता है लेकिन बाद में घर के पुरुष इसके विरोध में उठ खड़े होते हैं और वह कार्मिकों के साथ मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।
यह है संघ की मांग
टीकाकरण दल का गठन किया जाए
टीकाकरण दल प्रभारी को पूर्णकालिक फील्ड में रहने के लिए पाबंद किया जाए
व्यक्तिगत रूप से किसी अधिकारी और कर्मचारी को लक्ष्य आवंटित नहीं किए जाएं
पशु पालकों के लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाएं
पशु चिकित्सा कार्मिकों के साथ हो रही मारपीट की घटनाओं के दोषियों पर कार्रवाई की जाए
महज खानापूर्ति के लिए सिंगल यूज मास्क, एक साबुन की टिकिया और सेनेटाइजर की छोटी बोतल दी गई थी जो पांच दिन के लिए थी। इसके बाद कोविड से बचाव के संसाधन उपलब्ध नहीं करवाए गए।
हर टीकाकर्मी को सभी प्रोटेक्टिव संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं अथवा कोविड को देखते हुए परिस्थितियां अनुकूल होने तक अभियान को स्थगित रखा जाए।
इनाफ पोर्टल पर पशुओं के पंजीकरण के लिए कार्मिकों को डाटा कनेक्टिविटी संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं।
विभाग की ओर से लिए गए निर्णय के मुताबिक ऑनलाइन काम के लिए कार्मिकों का मानदेय का भुगतान किया जाए।

इनका कहना है,
पशु चिकित्सा कर्मचारियों के समक्ष आ रही समस्याओं को दूर करने का विभाग को प्रयास करना चाहिए। यदि एेसा नहीं किया जाता तो संघ मजबूरन कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा। अभियान शुरू होने से पहले ही विभाग से इन सभी मुद्दों को लेकर बात हुई थी और विभाग ने भी इन पर सहमति जताई थी लेकिन अब उनकी पालना नहीं कर कर्मचारियों का जीवन खतरे में डाल दिया है।
अजय सैनी, प्रदेशाध्यक्ष,
राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ।

Share This Video


Download

  
Report form
RELATED VIDEOS