बारूद के ढेर पर बैठी जिंदगी...

Patrika 2020-11-04

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दीपावली का समय नजदीक है और कहा जाए कि बारूद के ढेर पर मासूमों की जिंदगी बैठी है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि कस्बे में संचालित एक अस्थाई पटाखा फैक्ट्री के बारूद में कई मासूम अपनी जिंदगी ढूंढ रहे हैं और फैक्टरी संचालक द्वारा मानकों को ताक पर रखकर बारूद से बनने वाले पटाखा फैक्ट्री का संचालन अस्थाई रूप से किया जा रहा है। बारूदी फटाका बनाने का काम उन नावालिग किशोरों द्वारा कराया जा रहा है जो अपनी रोटी रोजी कमाने के चक्कर में इधर से उधर घूमते रहते हैं।
कोतवाली तालबेहट के स्थानीय कस्बा से सटे इलाके में बारूदी फैक्ट्री संचालक है जो मानकों को ताक पर रखकर अस्थाई रूप से बनाई गई है फैक्ट्री में आग बुझाने के संयंत्र मौजूद नहीं है । तो वहीं जो नाबालिक बच्चे फटाके का निर्माण बारूद से कर रहे हैं उन्हें सुरक्षा संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। जबकि फैक्ट्री में बड़ी मात्रा में बारूद के साथ साथ तैयार पटाखे भी रखे गए हैं। अस्थाई पटाखा फैक्ट्री को लेकर जिला प्रशासन और श्रम विभाग द्वारा गाइडलाइन जारी की गई है लेकिन फैक्ट्री संचालक द्वारा उक्त गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा । दीपावली के महीने भर पूर्व से ही नगर क्षेत्र सहित आसपास के गांवों में पटाखा निर्माण का कार्य शुरू हो जाता है। जहां के निर्माणधीन पुंगी पटाखा विभिन्न शहरों में भेजे जाते है। इनका निर्माण तरगुंवा रोड, जखौरा रोड पर तीन स्थानों पर किया जा रहा है। एक स्थान पर खुले में पटाखे बनाए जा रहे तो वहीं दो स्थानों पर कमरे में पटाखा निर्माण का कार्य किया जा रहा है। जहां 8 से 14 वर्ष के बच्चे पटाखे बना रहे है। इन स्थानों पर सुरक्षा के नाम पर सिर्फ सिर्फ बालू की बाल्टियां भरी हुई रखी है। यहां दर्जनों की संया में मजदूर एक ही स्थान पर पन्नियों के सहारे डाले गए तबुुओं में पटाखा निर्माण कर रहे है। इन स्थानों पर प्रतिदिन एक एक लाख से अधिक पुंगी पटाखों का निर्माण किया जा रहा है। यहां भण्डारन क्षमता से ज्यादा बारूद रखा हुआ है जिसके लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम भी नही है। अफसरों के निर्देशों की खुले आम धज्जियां उडाई जा रही है।

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