बांध की डूब क्षेत्र में गई अपनी जमीनों और मकानों के मुआवजे की मांग को लेकर डूब क्षेत्र के ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पर सिंचाई विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर नारेबाजी की। अधिकारियों के पहुंचने के बाद ग्रामीणों से वार्ता की गई तो वह किसी भी वार्ता को तैयार नहीं हुए। जिसके बाद अधिकारियों ने ग्रामीणों को मामले में कार्यवाही करने का भी आश्वासन दिया तब भी ग्रामीणों ने अधिकारियों की बात को दरकिनार कर लगातार धरना प्रदर्शन कर अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करते रहे । ग्रामीणों का आरोप है कि बांध निर्माण के बाद उनकी जमीन और मकान वर्षों पहले डूब क्षेत्र में चले गए थे । जिन का मुआवजा अधिकारियों की लापरवाही से उन्हें अभी तक प्राप्त नहीं हो सका और जो जमीनें डूब क्षेत्र में नहीं गई उन तक पहुंचने के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई रास्ता नहीं दिया गया जिससे ग्रामीणों के सामने भुखमरी का संकट आ खड़ा हुआ है। हाल ही में ताजा मामला विकासखंड बार के अंतर्गत निर्मित भागनी बांध डूब क्षेत्र ग्राम जरावली का है।
ग्राम जरावली के ग्रामीण अपने बच्चों और महिलाओं को लेकर जिला मुख्यालय पहुंचे और घंटा घर पर बैठकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया । ग्रामीणों का प्रदर्शन और अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी होती देख लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। डूब क्षेत्र के ग्रामीणों ने शासन प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की । सूचना मिलने पर क्षेत्राधिकारी सदर पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे तथा सिंचाई विभाग के आला अधिकारी भी ग्रामीणों से वार्ता करने धरना प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे । लेकिन ग्रामीणों ने किसी भी विभागीय अधिकारी से इस मामले में बात करने से इनकार कर दिया। काफी देर तक पुलिस प्रशासन और सिंचाई विभाग के अधिकारी ग्रामीणों से वार्ता करने के प्रयास करते रहे लेकिन ग्रामीण किसी भी प्रकार की वार्ता के लिए तैयार नहीं हुए । ग्रामीणों का आरोप है कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से भावनी बांध डूब क्षेत्र में उनके गांव और आसपास के ग्रामीणों की जमीन है और मकान चले गए हैं । जिनकी बाकायदा लिखा पढ़ी भी हुई थी और जो जमीन मकान बचे हैं उन तक पहुंचने के लिए पानी भर जाने के कारण रास्ता नहीं है । कई बार अधिकारियों और कर्मचारियों को इस मामले से अवगत कराया गया लेकिन अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण ग्रामीणों का जीवन संकट में आ खड़ा हुआ है । ना तो उन्हें जमीन और अपने मकान का अभी तक मुआवजा प्राप्त हुआ है और ना ही जमीनों पर पहुंचने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा कोई रास्ता बनाया गया है। सिंचाई निर्माण खंड प्रथम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने वर्ष 2013-14 में किसानों से अपनी मीठी मीठी बातों में फंसा कर बैनामा करवा लिए थे और मलीयत से 4 गुना ज्यादा मुआवजा दिलाए जाने की बात भी कही थी। और जब विभागीय अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को धोखा देकर उनकी संपूर्ण भूमि अधिकृत कर ली गई तब विभागीय अधिकारियों ने उस ओर से अपना ध्यान हटा दिया । कई बार ग्रामीण विभागीय अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। इस बाबत ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिलाधिकारी के माध्यम से एक ज्ञापन भी भेजा है जिसमें उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर कार्यवाही कर उनका बकाया मुआवजा दिलाए जाने की भी गुहार लगाई है । दिए गए ज्ञापन पर हरभजन अहिरवार रामस्वरूप छोटू राज मनीराम पवन गजेंद्र गोकुल सुनीता विमला कुसुम बड़ी बाई सहित लगभग एक सैकड़ा ग्रामीणों के हस्ताक्षर बने हुए हैं।