फिर विवादों में राजस्थान स्कूल ऑफ आट्र्स
इस बार एडमिशन को लेकर छात्रों और प्राचार्य में ठनी
प्राचार्य ने कहा, कम हैं विद्यार्थी, संचालित नहीं होगा कोर्स
फैकल्टी की कमी और संसाधनों के अभाव के बीच चल रहा राजस्थान स्कूल ऑफ आट्र्स एक बार फिर विवाद में आ गया है। इस बार मसला है स्कूल के बेचलर डिग्री ऑफ विजुअल आटर्् (बीवीएम) प्रोग्राम के तहत संचालित किए जा रहे मूर्तिकला स्ट्रीम के संचालन को लेकर। जानकारी के मुताबिक नए शिक्षा सत्र के लिए राजस्थान स्कूल ऑफ आट्र्स में संचालित हो रहे कोर्सेज में एडमिशन के लिए आवेदन मांगे गए थे। चार वर्षीय बीवीएम प्रोग्राम के तहत मूर्तिकला स्ट्रीम में 9 विद्यार्थियों ने एडमिशन के लिए आवेदन किया है लेकिन स्कूल प्रशासन कोर्स संचालित करने से ही मना कर रहा है। स्कूल प्रशासन का कहना है कि इस स्ट्रीम में एडमिशन के लिए बेहद कम विद्यार्थियों ने आवेदन किया है। विद्यार्थियों की संख्या कम होने के कारण इसे संचालित नहीं किया जा सकता।
स्कूल प्रशासन के निर्णय का विरोध
वहीं एडमिशन के लिए एप्लाई करने वाले विद्यार्थियों का कहना है कि राजस्थान स्कूल ऑफ आट्र्स के चार वर्षीय बीवीए कोर्स के तहत मूर्तिकला स्ट्रीम केवल सात ही एडमिशन हुए थे और कोर्स को संचालित किया गया तो इस बार तो छात्रों की संख्या दो और बढ़ गई है ऐसे में प्रशासन कोर्स को संचालित किए जाने से क्यों मना कर रहा है।
छात्रों का यह भी कहना है कि कॉलेजों में किसी भी कोर्स का संचालन तभी किया जा सकता है जबकि उसमें कुल सीटों की संख्या के मुकाबले कम से कम 10 फीसदी एडमिशन हुए हो। राजस्थान स्कूल ऑफ आट्र्स में मूर्तिकला स्ट्रीम में कुल 24 सीटें हैं। ऐसे में यदि यहां तीन स्टूडेंट्स भी एडमिशन लेते हैं तो कोर्स संचालित किया जा सकता है लेकिन प्रशासन फिर भी कोर्स शुरू करने से मना कर रहा है। ऐसे में छात्रों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
इनका कहना है,
गत वर्ष मूर्तिकला में केवल सात ही एडमिशन हुए थे फिर भी कोर्स संचालित किया गया था, इस बार तो एडमिशन के लिए आवेदन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या अधिक है फिर भी कोर्स संचालन से मना किया जा रहा है। स्कूल प्रिंसिपल विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।
मक्खन सिंह गुर्जर, छात्र संघ अध्यक्ष
राजस्थान स्कूल ऑफ आट्र्स