हाथरस को भड़काने के बीच क्या इंसाफ़ की आवाज दब गई? हाथरस में परिवार बनाम परिवार क्यों? इस मुद्दे पर हाथरस की पीड़िता की भाभी ने कहा, आरोपी की कोई भी बात सच नहीं है. सब बात गलत है.हमारे घर में एक ही फोन है, जो हमेशा पापा के पास रहता है, ये हमें गुमराह करने की साजिश हो रही है. ये लोग अब बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं, न तो कोई फोन किया गया है और न ही कोई बात हुई है. जिन लोगों ने देखा, क्या उस समय सब मर गए थे. अगर आज इंसाफ नहीं मिलेगा तो भविष्य में किसी लड़की को न्याय नहीं मिलेगा. अगर लड़के के परिवार को पता था तो उन्होंने क्यों नहीं रोका. जब मैं रोड पर रो रही थीं तो सारी महिलाएं देखकर हंस रही थी, क्योंकि ये सोची-समझी साजिश थी. अगर कोई गलती नहीं की थी तो शव को क्यों जला दिया गया. मुझे न्याय चाहिए, मैं और कुछ नहीं जानती हूं. ये दुनिया को पता है, बच्ची ने मरते वक्त आरोपियों का नाम लिया है तो क्या ये झूठा है.
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