जयपुर। राजस्थान के नागौर जिले में छोटी खाटू के इलाके में एक युवती का शव बरामद होने, बारां में हुए बलात्कार मामले के साथ एनसीआरबी रिपोर्ट को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग की दो सदस्य शनिवार को जयपुर पहुंची। सदस्य रजुला देसाई और श्यामला कुंदर ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वे हमें जयपुर नहीं आने दे रहे थे। यहां धारा 144 लगाए जाने का हवाला दिया जा रहा था, जबकि सरकार के ही मंत्री, कांग्रेस पदाधिकारी यहां आए दिन धरना, रैली कर रहे हैं। गहलोत सरकार ने राज्य में लोकतंत्र खत्म करने का काम किया है और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को दबाने का काम किया जा रहा है। दोनों सदस्यों ने यहां एनसीआरबी और अन्य बलात्कार मामलों की कटिंग दिखाते हुए कहा कि बलात्कार के मामलों में राजस्थान अव्वल है। यहां छोटी बच्चियों से बलात्कार की घटनाएं सबसे ज्यादा दर्ज की जा रही हैं। ऐसे में हमें यहां महिलाओं के लिए सुरक्षित राज्य बनाने की मांग को लेकर आना पड़ा। हालांकि हाथरस जाने की बजाय जयपुर आने के सवाल पर दोनों ही जवाब देने से बचती नजर आई।
महिला आयोग का अध्यक्ष क्यों नहीं किया नियुक्त?
श्यामला कुंदर ने कहा कि राज्य सरकार ने अब तक राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया है। जब कोई पीड़िता पुलिस तक नहीं पहुंच पाती तो वो आयोग ही आती है। जब आयोग का अध्यक्ष ही नहीं तो पीड़िताएं शिकायत लेकर कहां जाएगी?
हाथरस की घटना पर लिया एक्शन
यहां श्यामला कुंदर ने कहा कि हाथरस पीड़िता की हालत खराब होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस घटना की निंदा की। यूपी के डीजीपी से वीडियो कॉन्फ्रेंस कर ऐसी घटना फिर ना हो यह सुनिश्चित करने के लिए कहा। वहीं हाथरस ना जाकर, पहले जयपुर आने के सवाल पर रजुला देसाई ने कहा कि राजस्थान से बलात्कार के मामले ज्यादा रिपोर्ट हो रहे हैं, ऐसे में यहां पहले आना पड़ा। हाथरस में कोरोना के केस भी बढ़े हैं, इसलिए अभी वहां नहीं जाने दिया जा रहा। जल्द ही वहां का दौरा भी किया जाएगा।
पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती
यहां रजुला देसाई ने कहा कि कई मामलों में हमें शिकायत मिली है कि पुलिस महिला अपराधों के मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं करती है। ना ही राज्य सरकार कोई एक्शन लेती है। यहां केंद्र सरकार ने हर जिले सखी सेंटर खोले हैं, जो महिलाओं की मदद के लिए हैं, लेकिन लोग इनके बारे में जानते ही नहीं। राज्य सरकार ने केंद्र की इस योजना का प्रचार ही नहीं किया। यह सरकार महिला अत्याचारों पर काम करने की बजाय उन मामलों को दबाने का काम कर रही है।