उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में अफ्रीका की नौकरी छोड़ युवा विज्ञानी राहुल पाल किसानों की मुस्कान बनकर वापस स्वदेश लौटे हैं. वह फर्रुखाबाद, कन्नौज समेत आसपास के कई जिलों में उन्नत बीजों के इस्तेमाल से आलू की पैदावार को दोगुना कर किसानों की आय भी दोगुनी कर दी है.
वीओ-फर्रुखाबाद के कमालगंज ब्लाॅक के श्रंृगीरामपुर निवासी राहुल पाल ने बाॅयोटेक्नोलाॅजी से एमएससी, एमबीए और एमफिल किया. इसके बाद वह पूर्वी अफ्रीका स्थित नेशनल एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट में नौकरी करने चले गए थे,लेकिन देश और किसानों के लिए कुछ करने की चाहत उन्हें वापस लौटा लाई.अब राहुल श्रंृगीरामपुर में लैबोरेटरी और नर्सरी स्थापित कर टिश्यू कल्चर से नए-नए प्रयोग करते हैं,ताकि क्षेत्र के किसानों को कम दाम पर उन्नत बीज और तकनीक उपलब्ध करा सके. बता दें कि फर्रुखाबाद में किसानों की आय का स्त्रोत ही आलू की फसल है. यहां पर दो हजार से अधिक किसान बीज लेकर आलू की भरपूर पैदावार और आय अर्जित कर रहे है.टिश्यू कल्चर विधि से तैयार किए केला, सागौन और चंदन के पौधे भी किसानों के लिए आय का साधन बन रहे हैं. किसानों ने बताया कि पहले आलू का सामान्य बीज बोते थे तो 45 पैकेट तकरीबन 50 किलो आलू प्रति बीघा होती थी. लेकिन निरोगी और उन्नत बीज बोने से अब पैदावार दोगुनी से अधिक 95 पैकेट हो रही,जिससे मुनाफा भी दोगुना निकल रहा है.विदेश से नौकरी छोड़कर स्वदेश लौटे राहुल पाल ने बताया कि अपनों के लिए कुछ बेहतर करने का विचार ही वापसी का कारण बना.इस सीजन भी दो हजार से अधिक किसान आलू के बीज के लिए बुकिंग करवा चुके हैं. उन्होंने बताया कि यहां आलू की फसल में अकसर रोग लगने से किसानों को भारी नुकसाना सहना पड़ता था.जनपद में आलू की खेती अधिक होती है.इसलिए आलू पर सबसे अधिक ध्यान दिया है.लैब में टिश्यू कल्चर से गुणवत्ता भरे निरोगी बीज और नर्सरी में पौधे तैयार किए.इन्हें वाजिब दामों में किसानों को उपलब्ध कराया जाता है.पाली हाउस में जरूरी तापमान पर कोकोपिट में यह पौधे उगाते हैं