लद्दाख में चीन सीमा पर जारी तनावपूर्ण हालात के बीच भारत ने चीनी सेना को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है। भारत ने कहा है कि अगर अब चीन ने अपनी हद लांघी तो उसकी कार्रवाई का जवाब अब बोली से नहीं बल्कि गोली से ही मिलेगा। अभी तक दोनों ही पक्षों ने 1962 के युद्ध के उपरांत कब्जे वाली कवायद कभी नहीं की थी। पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर चूहे-बिल्ली का खेल आरंभ करने वाली चीनी सेना प्रतिदिन लद्दाख के उन इलाकों में टैंकों, तोपखानों के साथ शक्ति प्रदर्शन करने में जुटी है, जहां उसने कब्जा कर रखा है। जानकारी के लिए पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी LOC अर्थात लाइन ऑफ कंट्रोल पर देश के बंटवारे के बाद हुए पहले युद्ध के बाद से ही जीवित जंग के मैदान बने हुए हैं। प्रतिदिन हजारों की तादाद में गोलियों व गोले की बरसात दोनों पक्षों द्वारा सीजफायर के बावजूद की जा रही है। इस स्थिति के कारण दोनों ओर के नागरिकों का जीना मुहाल हो गया है।
हालांकि लद्दाख के विवाद वाले सेक्टरों में नागरिकों की मौजूदगी नगण्य है, पर दोनों ओर की सेनाओं के बीच अगर गोली न चलाने के समझौते टूटते हैं तो दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कई सेक्टरों, खासकर पैंगांग झील के किनारों पर दोनों ओर के तोपखाने व टैंक एक दूसरे की तरफ मुंह कर बस ऑर्डर की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
सैनिक कहीं पर 300 फुट की दूरी पर और कहीं एक हजार फुट की दूरी पर आमने-सामने हैं।
ऐसे में चिंता का विषय यह है कि अगर एलएसी के हालात एलओसी की तरह हुए तो दोनों ही पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।