जयपुर। कोरोना काल में पितरों को प्रसन्न करने, तर्पण, हवन और दान के लिहाज से खास माने जाने वाले श्राद्ध पूर्णिमा से शुरू हो गए हैं। इस पखवाड़े में अपने पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण किया जाएगा। शास्त्रानुसार इस समयावधि के दौरान पितरों के नाम से तर्पण, पूजा, ब्रह्मभोज व दान करना पुण्यकारी होता है। पूर्णिमा का श्राद्ध मंगलवार को निकाला गया। शास्त्रानुसार श्राद्ध पक्ष की अवधि 16 दिन की होती है, लेकिन अपराहृन व्यापिनी तिथि में श्राद्ध निकालने से शुरू के तीन दिन के बाद एक दिन कोई श्राद्ध नहीं निकलेगा। इस बार श्राद्ध निकालने का समय दोपहर 1.38 बजे से शाम 4.05 बजे तक के बीच रहेगा। इसके बाद सभी तिथियों के श्राद्ध निरंतर रूप से निकलेंगे, इसलिए यह अवधि कुल 17 दिन की रहेगी। लंबे समय बाद पंडितों की आय के स्त्रोत भी पूजा सहित अन्य अनुष्ठान आदि से शुरू होंगे। साथ ही ऑनलाइन श्राद्ध भी कोरोना संक्रमण के दौरान देखने को मिलेंगे।
हिन्दू धर्म के अनुसार साल में एक बार मृत्यु के देवता यमराज सभी आत्माओं को पृथ्वी लोक पर भेजते हैं। इस समय यह सभी आत्माएं अपने परिवारजनों से अपना तर्पण लेने के लिए धरती पर आती हैं। ऐसे में जो व्यक्ति अपने पितरों का श्रद्धा से तर्पण नहीं करता है। उसके पितृ उससे नाराज हो जाते हैं।
इसलिए पितृ पक्ष के दौरान पितृ तर्पण जरूरत करना चाहिए। पितृ पक्ष में पितरों के लिए श्रद्धा से तर्पण करने से जहां पितृों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, वहीं परिवार के सदस्यों की तरक्की का रास्ता खुलता है। साथ ही पितृ दोष का भी निवारण होता है। कहते हैं कि जिस घर में पितृ दोष लग जाता है उस घर में लड़के पैदा नहीं होते हैं, न ही उस घर में पेड़-पौधे उगते हैं और न ही कोई मांगलिक कार्य हो पाते हैं।
जरूरतमंद लोगों को कराएं भोजन
ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश शास्त्री ने बताया कि पितरों की तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाए। पितरों को जलांजलि दें। परिवार के मृत सदस्य की तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म करना चाहिए। अगर तिथि नहीं पता हो तो सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को श्राद्ध किया जा सकता है। इन 16 दिनों में जरूरतमंदों को भोजन बांटना चाहिए। तिथि अनुसार श्राद्ध कर्म 2 सितंबर को प्रतिपदा या एकम का श्राद्ध, 3 सितंबर को द्वितीया का श्राद्ध, 4 सितंबर कोई श्राद्ध नहीं, 5 सितंबर को तृतीया का श्राद्ध, 6 सितंबर को चतुर्थी का श्राद्ध, 7 सितंबर को पंचमी और भरणी का श्राद्ध, 8 सितंबर को षष्ठी और कृतिका का श्राद्ध, 9 सितंबर को सप्तमी का श्राद्ध, 10 सितंबर को अष्टमी का श्राद्ध, 11 सितंबर को नवमी का श्राद्ध और सौभाग्यवतीनाम श्राद्ध, 12 सितंबर को दशमी का श्राद्ध, 13 सितंबर को एकादशी का श्राद्ध, 14 सितंबर को द्वादशी का श्राद्ध, 15 सितंबर को त्रयोदशी और मघा का श्राद्ध, 16 सितंबर को चर्तुदर्शी का श्राद्ध, 17 सितंबर को सर्वपितृ श्राद्ध या अमावस्या रहेगी।