120 वर्ष बाद आज नहीं निकलेगा मोहर्रम का जुलूस
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कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष मोहर्रम का जुलूस भी नही निकल सकेगा। जिलेभर के इमामबाड़े भी सूने पड़े रहे और मोहर्रम की नौवीं तारीख को होने वाला आग का खेल अलाव भी नही हो सका। मुस्लिम परिवारों में घरों में ही इबादत की गई और हुसैन को याद किया गया। बीते कई वर्षों से जिले में मोहर्रम के चलते सभी इमामबाड़ों में ताजिया रखकर दुआ मांगी जाती थी और हुसैन को याद किया जाता था। लेकिन इस वर्ष सभी पर्वों में कोरोना का ग्रहण लग गया। कोरोना संक्रमण के चलते मोहर्रम में इमामबाड़ों में ताजिया नहीं रखे जा सके। जिसके कारण सारे इमामबाड़े सूने पड़े रहे। मोहर्रम इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष वली अहमद साबरी ने बताया कि करीब 120 वर्षों से जिले में ताजिया रखने की प्रथा चली आ रही है। लेकिन इस वर्ष कोरोना के चलते मोहर्रम का पर्व नही मनाया जाएगा। वहीं मोहर्रम इंतजामिया कमेटी के उपाध्यक्ष सलीम वारसी ने भी बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह फैसला लिया गया है किसी भी प्रकार का जुलूस मोहर्रम में नही निकाला जाएगा और न ही ताजिया रखे जाएंगें। कहीं पर अलाव भी नही होगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन के द्वारा बताई गई गाइडलाइन के आधार पर घरों में ही मोहर्रम का पर्व मनाया जा रहा है