यह बिल्डिंग शत्रु सम्पत्ति पर बनी थी जो मुख्तार ने फर्जी तरीके से अपनी मां के नाम करा ली थी। बाद में उसने अपने दो पुत्रों अब्बास अंसारी व उमर अंसारी के नाम करा दिया था। दोनों बिल्डंग बिना नक्शा के अवैध तरीके से बनाई गई थी। गुरूवार सुबह जब कार्रवाई की भनक लगते ही वहां कुछ लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। एलडीए व प्रशासनिक अधिकारियों से झड़प शुरू होने लगी। लेकिन ढाई सौ से अधिक संख्या में मौजूद पुलिस बल ने उन्हें खदेड़ दिया। बुलडोजर से बिल्डिंग को गिराने की कार्रवाई शुरू हुई। कुछ ही देर में तीन मंजिला बिडिंग भरभराकर जमीदोज हो गई। कार्रवाई के बाद एलडीए व प्रशासन के अधकारी वापस चले गए। एहतियात के तौर पर वहां पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। प्रशासन के अनुसार यह जमीन निष्क्रांत है। यानी जो पाकिस्तान जा कर बस गए उनकी। वर्ष 1952 में ही कागजों में हेरफेर कर के इस जमीन का निष्क्रांत वाला ब्योरा खतौनी से हटा दिया गया।