सऊदी अरब और पाकिस्तान के रिश्तों में काफी तल्खी आ गई है। इस तल्खी की वजह से कश्मीर पर पाकिस्तान को सऊदी अरब का मनचाहा समर्थन नहीं मिलना। दरअसल, पाकिस्तान लंबे समय से सऊदी के प्रभुत्त वाले ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी की उच्च स्तरीय बैठक कश्मीर मुद्दे पर बुलाने की मांग कर रहा था। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत अपने नियंत्रण वाले कश्मीर में कथित तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है. लेकिन ओआईसी ने उनकी मांग पर अभी तक निम्न-स्तरीय बैठकें ही की है। इससे बौखलाए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ओआईसी की बैठक को लेकर स्थानीय मीडिया से कहा था कि अगर आप आयोजित नहीं करते हैं, तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान को उन इस्लामी देशों की बैठक बुलाने के लिए कहने को मजबूर हो जाऊंगा, जो हमारे साथ कश्मीर मुद्दे और उत्पीड़ित कश्मीरियों का समर्थन करते हैं। यानी पाकिस्तान ने खुले तौर पर सऊदी अरब को चुनौती देने का ऐलान कर दिया था। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की आलोचना से सऊदी अरब बुरी तरह चिढ़ गया है। दोनों देशों के बीच तल्खी का आलम यह है कि दो हफ्ते पहले सऊदी अरब का एक अरब डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए पाकिस्तान को चीन से कर्ज लेना पड़ा। इसके साथ ही ऑयल क्रेडिट बढ़ाने की पाकिस्तान की गुजारिश पर भी रियाद ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि ऑयल क्रेडिट का पहला साल 9 जुलाई 2020 को ही पूरा हो चुका है। गौरतलब है कि दोनों इस्लामिक देश पारंपरिक तौर पर करीबी माने जाते हैं और वर्ष 2018 में पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचाने के लिए सऊदी ने पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर का कर्ज दिया था। इसके साथ ही 3.2 अरब डॉलर ऑयल क्रेडिट का भी ऐलान किया था। अब इसी तल्खी को दूर करने के लिए जनरल जावेदकमर बाजवा सऊदी अरब के दौरे पर जाने वाले हैं।