विश्व हाथी दिवस आज: देश का एकमात्र हाथी गांव जयपुर में

Patrika 2020-08-12

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विश्व हाथी दिवस आज
लुप्तप्राय वन्यजीवों में शामिल एशियाई हाथी
देश का एकमात्र हाथी गांव जयपुर में
यहां भी हाथियों पर पड़ रही कोरोना की मार

दुनियाभर में 12 अगस्त यानि आज के दिन को हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। एशियाई और अफ्रीकी हाथियों की दुर्दशा के बारे में जागरुकता पैदा करने और ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को पहली बार 12 अगस्तए 2012 को मनाया गया था। अफ्रीकी हाथियों को असुरक्षित के रूप में सूचीबद्ध किया गया है वहीं एशियाई हाथियों को लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। देश में भी हाथियों की संख्या लगातार कम हो रही है लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां पर हाथियों को पाला जाता है। जी हां, राजधानी जयपुर में बसा है हाथी गांव, यहां हाथियों के रहने के लिए वे सारे प्रबंध हैं, जिसे देखने देश विदेश के सैलानी यहां आते हैं।

कुंडा में बसा है एलिफेंट विलेज
आपको बता दें कि जयपुर में आमेर फपोर्ट के पास कुंडा गांव में एलिफेट विलेज बसा हुआ है, जहां देश विदेश के पर्यटक हाथी सफारी का आनंद लेने आते हैं। जयपुर में बसा यह हाथी गांव दुनिया का तीसरा और भारत का पहला हाथी गांव है। देश का यह एकमात्र हाथी गांव अपने आप में बेहद अनूठा है जिसे केवल हाथियों के लिए बसाया गया है। 100 एकड़ में इस गांव को बसाया गया है। अभी इस गांव में 98 हाथी हैं। आमेर में स्थित यह गांव देश का एक मात्र हाथी गांव है जहां पर असम और केरल के हाथी है इन हाथियों के रहने के लिए थान बने हुए है। एक ब्लॅाक में तीन थान हैं और इस गांव में लगभग 20 ब्लॉक हैं। हाथी की पहचान के लिए हर हाथी के कान के पास माइक्रोचिप लगाई जाती है। जिसमें हाथी का नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर फीड होता है।
हाथियों पर भी कोरोना की मार
कोरोना से जहां पूरी दुनिया प्रभावित हुई तो हाथी गांव के हाथी भी इससे अछूते नहीं रहे। करीब चार माह से हाथी सवारी बंद है। जिसका सीधा असर हाथी, हाथी मालिकों और महावतों पर पड़ा है। ऐसे में एलिफेंट विलेज की रंगत भी उड़ गई है। पिछले चार माह से महावतों को हाथी का खर्चा चलाने के लिए पैसे तक नहीं मिल रहे। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान वन विभाग हाथी कल्याण संस्था से रोज 600 रुपए प्रति हाथी रुपए दे रहा था लेकिन यह भी महावतों को अप्रेल तक ही मिले उसके बाद वह भी मिलना बंद हो गए। ऐसे में महावतों के लिए हाथी पालना भी अब मुश्किल हो गया है क्योंकि 400 रुपए प्रति क्विंटल मिलने वाला गन्ना महंगा हो गया है। आपको बता दें कि एक हाथी को पालने में तकरीबन एक हजार से 1200 रुपए का खर्चा प्रतिदिन का आता है। लॉकडाउन के समय विभाग 600 रुपए दे रहा था जिससे मुश्किल हालात के बाद भी महावत इन्हें पाल रहे थे लेकिन अब उनके लिए हाथियों की देखभाल करना और भी बड़ी चुनौती बन गया है।
इनका कहना है,
हम सालों से इन हाथियों के साथ हैं इन्हें पाल रहे हैं। आज जब परेशानी का समय है तो इन्हें नहीं छोड़ सकते। आमेर फोर्ट और एलिफेंट विलेज में राइड बंद पड़ी है। सरकार को हमारे बारे में सोचना चाहिए। हाथियों की देखभाल करने के लिए अब कोई पैसा भी नहीं मिल रहा।

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