जयपुर। कहते हैं मथुरा में भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में रात को 12 बजे अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र व वृषभ के चंद्रमा में हुआ था। श्रीमदभागवत कथा के अनुसार जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। तब ऐसा ही संयोग बना था। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर अष्टमी की तिथि और जन्म नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है। कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में असमजंस की स्थिति देखने को मिल रही है। देशभर के कुछ हिस्सों में 11 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) मनाई जा रही है तो वहीं कुछ अन्य हिस्सों में जन्माष्टमी का त्योहार 12 अगस्त को मनाया जा रहा है। लोगों के मन में एक ही सवाल है कृष्ण जन्माष्टमी आखिर किस दिन मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र की बात करें तो भगवान कृष्ण जन्माष्टमी के दिन अष्टमी ओर रोहिणी नक्षत्र होना जरूरी है। हालांकि कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है जब रोहिणी नक्षत्र व अष्टमी तिथि एक साथ नहीं पड़ते हैं। स्मार्त जहां 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। वहीं वैष्णव अगले दिन यानि 12 अगस्त को यह पर्व मनाएंगे। दरअसल यह पर्व अधिकांश दो दिनों का ही होता है। क्योंकि मथुरा में भगवान ने जन्म लिया तो जन्माष्टमी मनाई गई और जब अगले दिन गोकुल पहुंचे तो जन्मोत्सव मनाया गया।