नई शिक्षा नीति में किया शामिल
शिक्षा मंत्री पहले ही जता चुके हैं हर्ष
अब शिक्षक संगठनों ने जताई खुशी
केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के गठन में राज्य सरकार की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण रही है। सरकार ने नीति निर्माण के लिए कई सुझाव दिए थे जिन्हें इसमें शामिल किया गया है। शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा इसे लेकर हर्ष व्यक्त कर चुके हैं साथ ही कुछ मुद्दों को लेकर एतराज भी जाहिर कर चुके हैं। वहीं अब प्रदेश के शिक्षक संगठन भी नीति में शामिल किए गए कई मुद्दों को काफी महत्वपूर्ण मान रहे हैं।
उनका कहना है कि 12वीं क्लास में बोर्ड परीक्षा का होना, कॉलेज की डिग्री 4 साल की किए जाने के साथ ही 10वीं बोर्ड खत्म और एमफिल को बंद किया जाना बड़ा निर्णय है।
हिंदी को दिया महत्व
नई शिक्षा नीति में अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा। बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो,एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय है। इसी प्रकार अब सिर्फ 12वीं में बोर्ड की परीक्षा देनी होगी, जबकि इससे पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा। 9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी। स्कूली शिक्षा को 5,३,३,4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाए जाने का निर्णय एक बड़ा कदम है।
राज्य सरकार के सुझाव माने
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के विपिन शर्मा का कहना है कि मोदी सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 में राज्य सरकार के सुझावों को शामिल किया है। इसका हम स्वागत करते हैं। खासतौर पर शिक्षकों को चुनाव के अलावा अन्य गैर शैक्षिक कार्यों में नहीं लगाए जाने का निर्णय, प्राइमरी शिक्षा आंगनबाड़ी एवं विद्यालयों के माध्यम से, प्रशिक्षित शिक्षकों के जरिए ही दी जाने, आरटीई का दायरा बढ़ाए जाने, शिक्षक स्थानांतरण नीति एेसे सुझाव हैं जिनसे शिक्षा जगत को फायदा होगा।