श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन पर्व केवल भाई-बहिनों के प्रेम के प्रतीक पर्व के रूप में ही नहीं जाना जाता है। बल्कि पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पर्व की पहचान प्राचीन समय से भक्त और भगवान के मध्य भी मनाए जाने से रही है। जिसका प्रमाण आज भी धार्मिक स्थलों पर देखा जा सकता है। ऐसा ही श्रद्धाभाव से ओतप्रोत दृश्य विश्वविख्यात ठाकुर बांकेबिहारी मन्दिर पर देखा जा सकता है।
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जहां ठाकुर बांकेबिहारी महाराज को अपना भाई मानने वाली महिला भक्तों द्वारा उन्हें राखियां भेंट की जाती हैं। देश-विदेश की भक्तों द्वारा मंदिर में राखियां भेंट करने एवं भिजवाने का क्रम पर्व से कई दिनों पूर्व से ही शुरू हो जाता है। गुरुवार को मंदिर आईं महिला भक्तों द्वारा लॉकडाउन के करण मंदिर आम दर्शनार्थियों के लिए बंद मिलने पर बाहर से ही अपने आराध्य को प्रतीकात्मक रूप में राखी बांधी गई। इस सम्बंध में मंदिर के सेवायत गोपी गोस्वामी एवं प्रबंधक उमेश सारस्वत ने जानकारी दी।