बढ़ती संख्या के साथ बढ़ रहा संघर्ष , बाघों के लिए कम पड़ रही जगह

Patrika 2020-07-29

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इंसानों के साथ भी बढ़ रहा टकराव
शिकारियों की निगाहें भी बाघ पर

एक ओर बाघों की बढ़ती संख्या से वन्यजीव प्रेमी खुश हैं, वहीं दूसरी ओर यही संख्या इन बाघों के लिए ही खतरा भी साबित हो रही है। जंगल अब इनके लिए छोटा पडऩे लगा है ऐसे में बाघों में आपस में तो संघर्ष बढ़ ही रहा है साथ ही इंसानों के साथ भी बाघों का टकराव बढ़ रहा है। इतना ही नहीं शिकारियों की निगाहें भी इन पर लगी हुई हैं। हालांकि उत्तराखंडए महाराष्ट्रए असमए तमिलनाडु और कर्नाटक में बाघों की तादाद में इजाफा हुआ है। बिहार, उत्तरप्रदेश,छत्तीसगढ़, झारख़ंड, राजस्थान, उड़ीसा, मिजोरम,उत्तरण्पश्चिम बंगाल और केरल में संख्या जस की तस बनी रही लेकिन मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में बाघों की संख्या में गिरावट दर्ज हुई है।

दो साल में 63 बाघों का शिकार
आपको बता दें कि वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बीते दो साल में देश में 201 बाघों की मौत हुई है। इनमें से 63 बाघों का शिकार किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में 116 और 2018 में 85 बाघों की मौत हुई है। साल 2016 में 120 बाघों की मौतें हुईं थीं, जो साल 2006 के बाद सबसे अधिक थी। साल 2015 में 80 बाघों की मौत की पुष्टि की गई थी।

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