यह है राजधानी जयपुर का जीरो वेस्ट कैम्पस

Patrika 2020-07-24

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कचरे से बनाई जा रही है खाद
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक पहल
कैम्पस में सिंगल यूज प्लास्टिक पर भी है बैन
राजधानी जयपुर स्थित वन्यजीव और वानिकी प्रशिक्षण संस्थान एक एेसा परिसर बन चुका है जो पूरी तरह से जीरो वेस्ट है कैम्पस है। यानी कैम्पस से निकलने वाले कचरे का निपटान यहीं पर किया जा रहा है। यानि कचरे के निस्तारण में जो लाखों रुपए खर्च होते हैं वह यहां नहीं हो रहे। इससे पर्यावरण सरंक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है। यह सब संभव हुआ है संस्थान के निदेशक एवं भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर एनसी जैन के प्रयासों से। जिन्होंने कुछ ही माह में परिसर को जीरो वेस्ट कैम्पस के रूप में तब्दील करने में सफलता प्राप्त की है।
उठाए यह कदम
कम्पोस्ट पिट में गार्डन वेस्ट
प्रशिक्षण संस्थान की ओर से प्रयास किए गए कि पूरे परिसर में एेसी कोई सामग्री नहीं जाने दें जो वेस्ट में जाए। इसके लिए संस्थान में एेसी सामग्री जो फूल पत्ते और पेड़ पौधों से निकलती है, उसका उपयोग खाद बनाने में किया गया। परिसर में कम्पोस्ट पिट बनाई गई। जिसमें यह सारा सामान डाला जाता है। पिट में गार्डन वेस्ट डालने से २० से २५ दिन में खाद तैयार हो जाती है। संस्थान अपनी नर्सरी में इसी खाद का उपयोग में ले रहा है। जिससे एक पंथ दो काज वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। यहां तक कि छोटे से छोटे लिफाफे और अन्य कागजों को भी वेस्ट में नहीं डाला जाता। जो कागज रिसाइकिल करने या दोबारा उपयोग करने के लायक नहीं हैं उन्हें खाद बनाने के लिए ही उपयोग में लिया जाता है और उन्हें भी इस पिट में ही डाल दिया जाता है। आपको बता दें कि खाद बनाने के लिए परिसर में उन्नत विधियों जैसे नाडेप कम्पोस्ट और वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग किया जाता है।

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