जयपुर। सावन के दूसरे शनिवार पर बरसों बाद एक बार फिर शनि प्रदोष का विशेष संयोग बन रहा है। सावन में इस बार 18 जुलाई दिन शनिवार को कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि है। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के बारे में कहा जाता है कि इस दिन शिवजी की पूजा भक्ति करने वाले की मुराद शिवजी बहुत ही जल्दी पूरी करते हैं। शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि लग जाने पर यह शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। शनि प्रदोष व्रत का धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्व है। ज्योतिषियों की मानें तो प्रदोष का व्रत शनिवार और सोमवार को सावन में शुरू करने से विशेष फलदायी रहता है। इस दुर्लभ संयोग का लाभ उठाकर व्रत करना चाहिए, अगर व्रत करना संभव ना हो तब इस दिन पीपल को जल जरूर देना चाहिए और भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
लोग शनि जनित दोषों से मुक्ति पाने के लिए प्रदोष व्रत रखकर घर पर ही शाम को प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर भोलेनाथ की कृपा पा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि प्रदोष पर शिव की पूजा करने से शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।
पंडित अक्षय शास्त्री के अनुसार जब भगवान शिव की सबसे प्रिय तिथि प्रदोष (त्रयोदशी) शनिवार को आ जाए तो यह दिन और भी विशेष हो जाता है। इसके साथ यदि पवित्र श्रावण माह का संयोग बन जाए तो इस व्रत की महिमा और भी अधिक बढ़ जाती है। इस बार वर्ष 2020 के श्रावण माह के दोनों प्रदोष के दिन शनिवार का संयोग बन रहा है। इससे पहले यह संयोग 2010 में 7 व 21 अगस्त में आया था। अब दूबारा 2027 में 31 जुलाई व 14 अगस्त को यह संयोग फिर से बनेगा।
लॉकडाउन के चलते मंदिरों में भक्तों के प्रवेश पर पाबंदी रही। हालांकि इस दिन शाम को शिव मंदिरों में भोले बाबा की मनमोहक झांकी सजाई गई। भक्तों को सोशल मीडिया के माध्यम से दर्शन करवाए गए। ताड़केश्वर मंदिर के महंत विक्रांत व्यास ने बताया कि सावन में हर साल प्रदोष के दिन बाबा ताड़कनाथ की विशेष झांकी सजती है। सावन में प्रदोष का विशेष महत्व होने से दूर—दूर से भक्तगण दर्शन करने आते हैं। मंदिर में भक्तों की ओर से बहुमूल्य हीरे जवारात की भी झांकियां सजाई जाती हैं। इस बार लॉकडाउन के चलते भक्तों का प्रवेश निषेध रहा। भोलेनाथ की विशेष झांकी सजाई गई।