किसान बनेंगे बिजनेसमैन,विरोध में आए किसान संगठन

Patrika 2020-07-16

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किसान बनेंगे बिजनेसमैन
सरकार ला रही एफपीओ की योजना
विरोध में आए किसान संगठन
कहा, भटका रही सरकार

मोदी सरकार की ओर से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए शुरू की जा रही एफपीओ की योजना का किसान संगठन विरोध कर रहे हैं। दरअसल यह किसानों का संगठन है जिसे किसान उत्पादक संगठन कहा जाता है और यह किसानों के हित में काम करता है। यह कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है। केंद्र सरकार इन्हीं संगठनों को 15.-15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। सरकार ने यह योजना इसलिए शुरू की है ताकि किसानों को खेती में किसी कारोबार की तरह फायदा हो सके।

ऐसे मिलेंगे 15 लाख रुपए
किसानों के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत संगठनों को 15 लाख रुपए देगी। इसका फायदा लेने के लिए कम से कम 11 किसानों को संगठित होकर अपनी कृषि कंपनी या संगठन बनाना होगा। केंद्र सरकार इस संगठन का काम देखने के बाद इसे 15 लाख रुपए की सहायता देगी। यहां यह जानना जरूरी है कि अगर संगठन मैदानी क्षेत्र में काम करता है तो उसमें कम से कम 300 किसान जुड़े होने चाहिए। इसी तरह यह संगठन पहाड़ी क्षेत्र में हो तो वहां 100 किसान जुड़े होने चाहिए। यह रकम संगठन को तीन साल में मिलेगी। इस योजना में फायदा लेने की कोशिश करने वाले संगठनों के लिए नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज का काम देखेगी और उसी आधार पर रेटिंग देगी। इसके अलावा भी कुछ शर्तें हैं जिन्हें पूरा करना होगा।
मिलेंगे और भी लाभ
इस योजना में किसानों को केवल आर्थिक मदद ही नहीं बल्कि और भी कई फायदे मिलेंगे। उन्हें अपनी उपज के लिए बाजार मिलेगा वहीं खाद, बीज और दवाई के अलावा कृषि उपकरणों की खरीदी में भी आसानी होगी। साथ ही.२.५ करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड देने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है। फरवरी में इस अभियान की शुरुआत के बाद से लगभग 95 लाख आवेदन मिले हैं, जिनमें से 75 लाख पास कर दिए गए हैं। मौजूदा समय में लगभग 6.67 करोड़ सक्रिय केसीसी खाते हैं। केसीसी को कोऑपरेटिव या दूसरे बैंक से बनवाया जा सकता है। इसका फॉर्म डाउनलोड करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट परर जाएं। वेबसाइट में डाउनलोड किसान क्रेडिट फार्म का विकल्प है। यहां से फॉर्म को प्रिंट करें और नजदीकी बैंक में जाकर जमा कर सकते हैं।
किसान संगठनों का विरोध क्यों ?
किसान संगठनों का कहना है कि भारत सरकार का 10000 कृषक उत्पादन संगठन पहले चरण में बनाने का लक्ष्य है। दूसरी ओर देश में 93,995 से अधिक प्राथमिक कृषि ऋणदात्री सहकारी समितियां विद्यमान है। नए प्रयोगों के स्थान पर इन जैसी सहकारी समितियों को ही गौण मंडी घोषित किया जाता तो उन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद संभव हो जाती जिससे किसानों को न्यूनतम मूल्य प्राप्ति तो सुनिश्चित हो जाती। उनका कहना है कि वर्ष 2016.17 के केन्द्रीय बजट में सरकार ने किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने का संकल्प व्यक्त किया था इसके बाद किसानों की आय में बढ़ोतरी तो नहीं हुई, बल्कि उनकी आय घटी है । इस तथ्य को छुपाने के लिए ही केंद्र सरकार इस प्रकार के वक्तव्य देकर किसानों को भटका रही है।

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