सद्गुरु डिप्रेशन/अवसाद के मूल कारण बताते हुए कहते हैं कि डिप्रेशन के अधिकतर मामलों में, मनुष्य खुद ही ऐसी गहरी भावनाओं और विचारों को पैदा करता है, जो उसके खिलाफ काम करते हैं, और कई मायनों में सत्तर प्रतिशत बीमारियाँ लोग खुद ही पैदा करते हैं।
सद्गुरु अभिभावकों को एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए यह भी बताते हैं कि हमें अपने बच्चों के साथ कैसे पेश आना चाहिए ताकि वे एक खुशदिल इंसान बनें।
एक योगी, युगदृष्टा, मानवतावादी सद्गुरु, एक आधुनिक गुरु हैं, जिनको योग के प्राचीन विज्ञान पर पूर्ण अधिकार है। विश्व शांति और खुशहाली की दिशा में निरंतर काम कर रहे सद्गुरु के रूपांतरणकारी कार्यक्रमों से दुनिया के करोडों लोगों को एक नई दिशा मिली है। दुनिया भर में लाखों लोगों को आनंद मार्ग में दीक्षित किया गया है।