मदरसा जनसहभागिता योजना रह गई सिर्फ कागजों में

Patrika 2020-07-10

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राज्य सरकार की ओर से संचालित की जाने वाली मुख्यमंत्री मदरसा जनसहभागिता योजना का लाभ दो सालों में मदरसों को नहीं मिल पाया है। कई प्रस्ताव भेजे जाने के बाद भी मदरसा बोर्ड या अल्पसंख्यक मामलात विभाग की ओर से मदरसों को योजना के तहत कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। योजना के तहत मदरसा बोर्ड ने विज्ञप्ति भी जारी की। जिसमें मदरसों से 60 प्रतिशत जनसहभागिता के बाद 40 प्रतिशत बजट सरकार की ओर से देने के लिए प्रस्ताव मांगे गए। वो 40 प्रतिशत राशि प्रस्ताव भेजने वाले मदरसों को अब तक जारी नहीं की गई है।
राज्य के बजट 2017—18 में मदरसों को सहायता उपलब्ध करवाने के लिए मुख्यमंत्री मदरसा जनसहभागिता योजना की घोषणा की गई। योजना में नियम बनाए गए कि मदरसे बच्चों के लिए सुविधाएं मुहैया करवाने में कुल बजट का सामाजिक संस्थाओं, समाज के लोगों, भामाशाहों से 60 प्रतिशत राशि लेंगे। इस राशि से संबंधित दस्तावेज के साथ एक प्रस्ताव मदरसों को मदरसा बोर्ड को देना होगा। इन प्रस्तावों पर विचार कर विभाग की ओर से 40 प्रतिशत राशि देय होगी। यह राशि राज्य सरकार के बजट से दी जाएगी।

राज्य सरकार ने इस योजना की घोषणा करते हुए कई उद्देश्य बताए थे। मदरसों के आधारभूत संरचना विकास में जन भागीदारी को प्रोत्साहन देना, मदरसों में कक्षा कक्ष के निर्माण कार्य, बरामदा, शौचालय, पीने के पानी की व्यवस्था, बिजली के उपकरणों की व्यवस्था के लिए जनसहभागिता के साथ सरकार की ओर से सहायता उपलब्ध कराना है। जन सहभागिता के रूप में समुदाय, सामाजिक संगठन, गैर सरकारी संस्थान, ट्रस्ट, पंजीकृत संस्थान, दानदाता आदि वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते हैं।

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