लखनऊ. कानपुर में पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद एक बार फिर 'अपराध का राजनीतिकरण' और 'राजनीति का अपराधीकरण' के मुद्दे पर फिर बहस शुरू हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में इस मुद्दे पर न जाने कितनी बहस हुई। तमाम लेख और किताबें लिखी गईं। सामाजिक-राष्ट्रीय संदर्भों में इसकी खूब आलोचना भी हुई, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। इस गठजोड़ की जितनी आलोचना हुई, यह उतना ही मजबूत होता चला गया। गैंगस्टर विकास दुबे की हर राजनीतिक दल से साठगांठ थी। प्रदेश में जिस भी पार्टी की सरकार रही, वह उसी के साथ हो लिया।
सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी हो, फिर समाजवादी पार्टी हो या बहुजन समाज पार्टी सभी पार्टी के नेताओं के साथ विकास दुबे की नजदीकियां रही हैं। कानपुर मुठभेड़ के बाद विकास दुबे के पोस्टर्स सपा, बसपा और बीजेपी के झंडे के रंग में वायरल हो रहे हैं। विभिन्न दलों के कई बड़े नेताओं संग विकास दुबे की तस्वीरें भी हैं, लेकिन कोई भी दल विकास दुबे से नजदीकियां मानने को तैयार नहीं है। बिकरू गांव के लोग बताते हैं कि बड़े राजनीतिक दलों के नेताओं से विकास दुबे के अच्छे संबंध थे। किसी भी कार्यक्रम में विकास के घर पर तमाम दलों के नेता आते थे। ग्रामीण कहते हैं कि विकास का कैसा भी काम हो, आसानी से हो जाता था।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो विभिन्न राजनीतक दलों के कुछ लोग चुनाव जीतने के लिए विकास दुबे अपराधियों का इस्तेमाल करते हैं। पैसा, बाहुबल और क्षेत्रीय हनक के बूते यह 'जिताऊ' साबित होते हैं। बदले में ये अपराधी भी नेताओं के चुनाव जीतने के बाद अपने योगदान की वसूली भी करते हैं। कुछ ऐसी साठगांठ विकास दुबे के मामले नजर आ रही है। विकास दुबे तो सिर्फ एक नाम है, उस जैसे न जो कितने कथित माफिया और अपराधी हैं, जिनके राजनीतिक दलों से संबंध हैं। इसके अलावा गंभीर अपराधों वाले तमाम लोग न सिर्फ चुनाव लड़ते हैं, बल्कि जीतते भी हैं।
2017 में जीते विधायकों का हाल
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कुल 402 विधायकों में से 143 ने चुनावी हलफनामे में खुद पर दर्ज आपराधिक मुकदमों की जानकारी दी थी। इस चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई। पार्टी के 312 विधायक चुनाव जीते, जिनमें से 83 मतलब 37 फीसदी विधायकों पर संगीन धाराओं में दर्ज हैं। बीजेपी ही नहीं सपा के 47 जीते विधायकों में से 14, बसपा के 19 विधायकों में से 05 और कांग्रेसक 07 विधायकों में से 01 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस चुनाव में तीन निर्दलीय विधायकों को जीत हासिल, जिनमें में से सभी पर आपराधिक मामले दर्ज है। इन आपराधिक मामलों का जिक्र खुद जीते विधायकों अपने चुनावी हलफनामे में किया है।